आज 4 अगस्त दिन शुक्रवार को विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत है. इसे अधिक मास संकष्टी चतुर्थी या मलमास की संकष्टी चतुर्थी भी कह सकते हैं. अधिक मास हर 3 साल में एक बार आता है, इसलिए विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत 3 साल में एक बार ही रखने का मौका मिलता है. इस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा विधि विधान से करते हैं और रात के समय में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को पूरा किया जाता है. आज विभुवन संकष्टी चतुर्थी पर सुबह से भद्रा है, लेकिन पूजा पाठ में कोई समस्या नहीं है. आइए जानते हैं विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत के पूजा मुहूर्त, चंद्रोदय समय, पूजा विधि और महत्व के बारे में.
विभुवन संकष्टी चतुर्थी 2023 मुहूर्त
सावन अधिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि का शुभारंभ: आज, दोपहर 12:45 बजे से
सावन अधिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि का समापन: कल, सुबह 09:39 बजे पर
संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 39 से सुबह 07 बजकर 21 मिनट तक
सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 03 बजकर 52 मिनट तक
शोभन योग: प्रात:काल से सुबह 06 बजकर 14 मिनट तक
चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय: रात 09 बजकर 20 मिनट से
विभुवन संकष्टी चतुर्थी 2023 अशुभ मुहूर्त
भद्रा: सुबह 05 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक
राहु काल: 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक
पंचक: पूरे दिन
विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा विधि
आज प्रात: स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. फिर विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत और गणेश पूजा का संकल्प करें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर गणेश मूर्ति की स्थापना करें. फिर गणेश जी का जलाभिषेक करें. उनका वस्त्र, फूल, माला, चंदन आदि से श्रृंगार करें. गणेश जी को लाल वस्त्र और गेंदे का फूल उपयोग करें तो बहुत अच्छा रहेगा.