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कही-सुनी (13 AUG-23):आईएएस अफसरों की फटाफट बदलती पोस्टिंग

रवि भोई की कलम से

लगता है भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ में आईएएस अफसरों को पिच में जमने नहीं देना चाहती है। अफसरों के विभागों में जल्दी-जल्दी बदलाव से तो यही लगता है। यह तो सरकार का विशेषाधिकार है कि किस अफसर से क्या काम ले और कितने दिन तक वहां पदस्थ रखे, लेकिन कहते हैं अफसरों के विभागों में जल्दी-जल्दी हेरफेर से मंत्रालय के स्टाफ का सिर दर्द बढ़ गया है, वहीं मातहत अफसर और आम लोग भी उलझने लगे हैं। पुराने बॉस को समझने से पहले ही मातहत अफसरों को नया बॉस मिल जाता है। अफसर भी विभाग को समझने की कोशिश करते हैं उसके पहले उनका विभाग बदल जा रहा है। कुछ महीने पहले ही आईएएस सारांश मित्तर को संचालक उद्योग और सीएसआईडीसी का प्रबंध संचालक बनाया गया था। अब ये दोनों महकमा आईएफएस अरुणप्रसाद पी को दे दिया गया है। अरुणप्रसाद पी छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव हैं।सरकार ने अरुणप्रसाद पी की जगह ही सारांश मित्तर को सीएसआईडीसी का प्रबंध संचालक बनाया था। हाल के फेरबदल में सारांश मित्तर का बोझ काम हुआ तो अरुणप्रसाद पी की जिम्मेदारी बढ़ गई। एक पखवाड़े पहले भी कुछ अफसरों के विभागों में हेरफेर किया गया था।

मंडल को हटाना चर्चा में

पूर्व मुख्य सचिव आर पी मंडल को एनआरडीए के अध्यक्ष पद से हटाना चर्चा का विषय बन गया। वैसे अब एनआरडीए उपजाऊ संस्था रही नहीं, पर आर पी मंडल के लिए रिटायरमेंट के बाद एक ठौर था। आमतौर पर एनआरडीए के जिम्मे जो काम है, वह आर पी मंडल के अनुकूल था, वे नए रायपुर के साज-सज्जा में कुछ नए प्रयोग भी कर रहे थे, लेकिन तीन साल पूरा होने से पहले उनकी विदाई लोगों को चौंका रहा है। आर पी मंडल से पहले छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव रहे अजय सिंह राज्य योजना मंडल और सुनील कुजूर सहकारिता आयोग में अभी बने हैं। सरकार ने अब एनआरडीए के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी रिटायर्ड आईएफएस अफसर श्यामसुंदर बजाज को सौंपी है। कुछ साल पहले तक कांग्रेस सरकार की आंख की किरकिरी रहे बजाज साहब की एनआरडीए में वापसी हुई है। एस एस बजाज एनआरडीए के उपाध्यक्ष और सीईओ रह चुके हैं। नए रायपुर की संरचना में बजाज साहब का बड़ा योगदान है। इस कारण आर पी मंडल के विकल्प के रूप में श्यामसुंदर बजाज को चुना गया। एस एस बजाज अभी छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक हैं। वे अब दोनों काम साथ-साथ देखंगे।

पूर्व मंत्री का गिफ्ट पॉलिटिक्स

कहते हैं एक भाजपा नेता और पूर्व मंत्री 2023 में जीत सुनिश्चित करने के लिए धूमधड़ाके से काम करना शुरू कर दिया है। चर्चा है कि पूर्व मंत्री ने अपने विधानसभा इलाके के लोगों को कांसे की थाली और कटोरी उपहार में दे रहे हैं। थाली और कटोरी में बकायदे कमल निशान प्रिंट कराया गया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी पूर्व मंत्री जी ने राजनीतिक गोटियां चली थीं, जिसके चलते उनकी नैया पार लग गई थी। अब देखते हैं इस बार भाजपा नेता क्या दांव खेलते हैं और उपहार पॉलिटिक्स क्या नतीजा निकलता है। वैसे भाजपा में कई चेहरे बदलने की चर्चा है। पुराने लोगों की जगह नए लोगों को मैदान में उतारने की भी बात चल रही है, लेकिन टिकट मिलने से पहले पूर्व मंत्री जी की तैयारी से तो लग रहा है कि उनको प्रत्याशी बनने से कोई रोक नहीं सकता।

बाजी पलटने भाजपा के कदम

कहते हैं भाजपा कुछ सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा सितंबर के आखिरी हफ्ते में कर सकती है। ये ऐसी सीटें हैं, जहां से भाजपा प्रत्याशी अब तक कभी नहीं जीते हैं। इसमें सीतापुर,कोंटा, मरवाही, पाली तानाखार और कुछ सीटें चर्चा में हैं। संयुक्त मध्यप्रदेश में मरवाही सीट पर भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई थी, फिर वह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हुई बैठक में कुछ सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा करने पर सहमति बन गई है। चर्चा है कि जल्दी प्रत्याशी घोषित की जाने वाली सीटों के लिए दावेदारों के नाम भी बुला लिए गए हैं। खबर है कि 8 अगस्त को दिल्ली में अमित शाह के निवास पर हुई बैठक में शिवप्रकाश, ओम माथुर, डॉ रमन सिंह, अजय जामवाल, अरुण साव और पवन साय मौजूद थे।

लोगों के गुस्से का शिकार होते विधायक

कहते हैं लोगों में कांग्रेस सरकार से ज्यादा विधायकों को लेकर नाराजगी दिखाई पड़ रही है। पहली बार के विधायक जनता के निशाने पर ज्यादा बताए जाते हैं। कांग्रेस सरकार से अधिक विधायकों को लेकर गुस्सा का नमूना पिछले दिनों रायपुर में लोगों को देखने को मिला। क्षेत्र की जनता से मिलने गए विधायक जी के खिलाफ लोगों ने वापस जाओ के नारे लगा दिए। कहते हैं जनता के बीच मंच पर भाषण देते सरगुजा संभाग के एक कांग्रेस विधायक को भी उलटे पांव भागना पड़ा। 2018 की कांग्रेस लहर में विधायक बने अधिकांश लोगों की हालत पतली बताई जा रही है। माना जा रहा है पहली बार विधायक बने कई लोगों का कांग्रेस टिकट काट सकती है। अब देखते हैं क्या होता है ? चर्चा है कि इस बार कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटी और बहू चुनाव मैदान में नजर आ सकते हैं।

सिंहदेव का विधानसभा सीट पर निगाह

कुछ महीने पहले तक चुनाव से अनिच्छुक लग रहे उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव अब लोगों को साधने के लिए हफ्ते में चार दिन अंबिकापुर में रहने और बाकी तीन दिन सरकारी कामकाज के साथ दौरे पर रहने की बात करने लगे हैं। 2008 से लगातार अंबिकापुर के विधायक टीएस सिंहदेव के फार्मूले का लोग तरह-तरह के मायने निकालने लगे हैं। कहते हैं उप मुख्यमंत्री बनने के बाद टीएस सिंहदेव की रणनीति बदल गई है। चर्चा है कि भाजपा इस बार वहां किसी आदिवासी चेहरा को मैदान में उतार सकती है। 2008 से पहले अंबिकापुर से कमलभान सिंह विधायक थे। भाजपा तीन बार से टीएस सिंहदेव के खिलाफ अनुराग सिंहदेव को खड़ा करते आ रही है।

भूपेश बघेल के भाषण पर नजर

छत्तीसगढ़ में इस साल चुनाव होने हैं। चुनावी साल में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मंगलवार को पुलिस परेड़ मैदान से प्रदेश की जनता को संबोधित करेंगे। 15 अगस्त को भूपेश बघेल के पिटारे से क्या निकलता है, उस पर सबकी निगाह है। माना जा रहा है कि संविदा कर्मचारियों के लिए मुख्यमंत्री बड़ी घोषणा कर सकते हैं। वैसे मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कई घोषणाएं कर चुके हैं , लेकिन अपने इस कार्यकाल के आखिरी स्वतंत्रता दिवस संबोधन में आम लोगों, कर्मचारियों, किसानों, व्यापारियों और अन्य वर्गों को क्या उपहार देते हैं,उस पर सभी की नजर है।

आखिरकार माइनिंग विभाग को मिला संचालक

2009 बैच के आईएएस केडी कुंजाम के संचालक माइनिंग बनने से इंकार के बाद खाली पड़े पद पर 2012 बैच की आईएएस दिव्या मिश्रा की पोस्टिंग की गई है। माइनिंग विभाग के सचिव 2010 बैच के आईएएस जयप्रकाश मौर्य हैं। मौर्य अभी छुट्टी पर चल रहे हैं। केडी कुंजाम ने जयप्रकाश मौर्य के मातहत काम करने से मना कर दिया था। हालांकि सरकार ने केडी कुंजाम को अब बिलासपुर संभाग का आयुक्त बना दिया है। दिव्या मिश्रा महिला और बाल विकास विभाग की भी संचालक हैं साथ में उनके पास दो प्रभार और भी हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)
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