11 अगस्त को कोरोना वायरस संक्रमण से मंगलवार को राहत इंदौरी का निधन होने के बाद अदब की मंचीय दुनिया ने वह नामचीन दस्तखत खो दिया है जिनका काव्य पाठ सुनने के लिये दुनिया भर के मुशायरों और कवि सम्मेलनों में लोग बड़ी तादाद में उमड़ पड़ते थे. आगे कि स्लाइड्ल में पढ़िए राहत इंदौरी के लिखे कुछ बेहद खास शब्द.
सभी का खूब है शामिल यहां की मिट्टी में किसी के बाप का हिंदोस्तान थोड़ी है.
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था.
मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो आसमां लाए हो ले आओ जमीं पर रख दो.
शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे.
किसने दस्तक दी, कौन है आप तो अंदर हैं बाहर कौन है.
मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना लहू से मेरी परेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना.
दो गज सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है, ऐ मौत तूने मुझको जमींदार कर दिया.
अफवाह थी की मेरी तबीयत खराब है लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया.