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आज का पंचांग 16 अगस्त : पुत्रदा एकादशी पर प्रीति योग समेत बन रहे हैं 4 अद्भुत संयोग, पढ़ें पंचांग

वैदिक पंचांग के अनुसार, 16 अगस्त यानी आज पुत्रदा एकादशी है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जा रही है। साथ ही साधक मनचाहा वर पाने के लिए लक्ष्मी नारायण जी के निमित्त एकादशी व्रत रख रहे हैं। इस व्रत के पुण्य- प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। पुत्रदा एकादशी पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही कई मंगलकारी योग भी बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को लक्ष्मी नारायण जी का आशीर्वाद प्राप्त होगा। आइए आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं-

आज का पंचांग (Panchang 16 August 2024)
शुभ मुहूर्त
सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 16 अगस्त को सुबह 09 बजकर 39 मिनट तक है। इसके बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाएगी। साधक दिन में किसी समय भक्ति भाव से भगवान नारायण की पूजा-अर्चना एवं भजन-कीर्तन कर सकते हैं।

शुभ योग
आज यानी पुत्रदा एकादशी पर प्रीति योग का निर्माण दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से हो रहा है। इस योग का समापन 17 अगस्त को सुबह 10 बजकर 48 मिनट पर होगा। वहीं, आज बव एवं बालव करण योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

शिववास
सवन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी आज शिववास योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 40 मिनट से हो रहा है। इस समय तक भद्रावास का भी संयोग है। शिववास योग के दौरान भगवान शिव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। इस समय में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

पंचांग
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 59 मिनट पर

चन्द्रोदय- शाम 04 बजकर 32 मिनट पर

चंद्रास्त- देर रात 02 बजकर 42 मिनट पर ( 17 अगस्त)

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 24 मिनट से 05 बजकर 08 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से 03 बजकर 29 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 59 मिनट से 07 बजकर 21 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक

अशुभ समय
राहु काल – सुबह 10 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 25 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 07 बजकर 29 मिनट से 09 बजकर 08 मिनट तक

दिशा शूल – दक्षिण

ताराबल
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती

चन्द्रबल
मिथुन, कर्क, तुला, धनु, कुंभ, मीन

 

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