अक्टूबर मास का यह सप्ताह व्रत त्योहार के लिहाज से बेहद खास माना जा रहा है। दरअसल इस सप्ताह आश्विन मास का समापन होगा और कार्तिक मास की शुरुआत होगी, इसके साथ ही शरद पूर्णिमा के बाद 17 अक्टूबर को कृष्ण पक्ष का आरंभ भी हो जाएगा। इस सप्ताह भौम प्रदोष व्रत, शरद पूर्णिमा, अशून्य शयन व्रत, करवा चौथ आदि कई प्रमुख व्रत त्योहार भी किए जाएंगे। व्रत त्योहार के साथ इस सप्ताह सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेंगे तो मंगल का कर्क राशि में गोचर होगा। आइए जानते हैं अक्टूबर मास के इस सप्ताह के प्रमुख व्रत त्योहार के बारे में…
पद्मनाभ द्वादशी व्रत (14 अक्टूबर, सोमवार)
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को पद्मनाभ द्वादशी व्रत कहते हैं। यह व्रत करने से लक्ष्मी सहित विष्णु भगवान खुश होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पद्मासन रूप में पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर आर कोई नया बिजनस शुरू या नया काम करना चाहते हैं तो पद्मनाभ द्वादशी का दिन बहुत शुभ माना जाता है।
भौम प्रदोष व्रत (15 अक्टूबर, मंगलवार)
हिंदू पंचांग के आधार पर प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है। जब यह प्रदोष मंगलवार को पड़ता है, तो उसे भौम प्रदोष कहते हैं। यह व्रत ऋण मुक्ति के लिए विशेष लाभदायक माना जाता है। कई बार जीवन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेना आवश्यक हो जाता है लेकिन परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि कर्ज चुकाने में मुश्किलें आती हैं, इस तरह की परिस्थितियों से निकलने के लिए भौम प्रदोष व्रत काफी लाभदायक माना जाता है। साथ ही यह व्रत जीवन के हर क्षेत्र में मंगलकारी परिणाम देता है।
व्रत की पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा (16 अक्टूबर, बुधवार)
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कोजागरी पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। जिनकी कुंडली में चंद्रमा ग्रह द्वारा दोष बना रहता है, उसे पूर्णिमा व्रत अवश्य रखना चाहिए। यह पूर्णिमा व्रत रखने से चंद्र दोष समाप्त भी हो जाता है। ज्योतिष के अनुसार, पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है इसलिए इस दिन को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से जीवन में धन, वैभव और सुख समृद्धि की कमी नहीं होती है।
अशून्य शयन व्रत (18 अक्टूबर, 2024 शुक्रवार)
चातुर्मास के चारों महीने में कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को अशून्य शयन व्रत किया जाता है। पति-पत्नी के बीच रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए अशून्य शयन द्वितीया व्रत सबसे उत्तम माना जाता है। जिस प्रकार महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत करती हैं, ठीक उसी तरह पुरुषों को अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करना चाहिए।
करवा चौथ (20 अक्टूबर, रविवार)
चंद्रोदय व्यापिनी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करक चतुर्थी या करवा चौथ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य की मंगल कामना करके चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और अपने व्रत को पूर्ण करती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के बीच के प्यार को दर्शाता है और दोनों के बीच रिश्ता भी मजबूत होता है। इस दिन चंद्रोदय रात 7.40 बजे होगा। इस दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी भी है।