संतान की मंगलकामना के लिए महिलाएं 24 अक्टूबर दिन गुरुवार को अहोई अष्टमी व्रत रखेंगी, हर वर्ष यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इसमें महिलाएं संतानों की दीर्घायु, स्वास्थ्य और जीवन में उसकी तरक्की के लिए निर्जला व्रत करती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन माता पार्वती की अहोई स्वरूप में अराधना की जाती है।
अहोई अष्टमी व्रत मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि अष्टमी तिथि 23 अक्टूबर दिन बुधवार की आधी रात 1 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और यह अगले दिन यानी 24 अक्टूबर दिन गुरुवार को देर रात 1 बजकर 58 मिनट पर खत्म होगी। सूर्योदय की तिथि के अनुसार अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर दिन गुरुवार को रखा जाएगा।
अहोई अष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami Puja Shubh Muhurat )
शुभ चौघड़िया सुबह 6 बजकर 27 मिनट से 7 बजकर 51 मिनट तक।
चल चौघड़िया सुबह 10 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 5 मिनट तक।
लाभ चौघड़िया सुबह 12 बजकर 5 मिनट से 1 बजकर 29 मिनट तक।
अमृत चौघडिया दोपहर में 1 बजकर 29 मिनट से 2 बजकर 53 मिनट तक।
शुभ चौघडिया शाम में 4 बजकर 18 मिनट से 5 बजकर 42 मिनट तक।
इन सभी मुहूर्त में से किसी में भी आप सुबह के समय अहोई अष्टमी की अपनी पूजा कर सकते हैं। साथ ही जिनके यहां सुबह कथा सुनी जाती है वह इनमें से किसी भी मुहूर्त में कथा सुन सकते हैं। लेकिन, शाम में 4 बजकर 18 मिनट से 5 बजकर 42 मिनट तक शुभ चौघडिया का मुहूर्त सबसे सर्वोत्तम रहने वाला है।
अहोई अष्टमी शाम की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami Pujan Evening Shubh Muhurat )
अहोई अष्टमी शाम में अमृत चौघडिया शुभ मुहूर्त 5 बजकर 42 मिनट से 7 बजकर 18 मिनट तक है।
शाम में अहोई माता के पूजन के बाद तारे या चंद्रमा को अर्घ्य देकर आप अपना व्रत का पारण करें।
अहोई अष्टमी पूजा विधि
निसंतान महिलाएं भी बच्चे की कामना में अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। शाम को कई परिवारों में तारों को अर्घ्य दिया जाता है और कहीं चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण किया जाता है। इस दिन शाम को दीवार पर 8 कोणों वाली एक पुतली बनाई जाती है। पुतली के पास ही स्याऊ माता और उनके बच्चे बनाए जाते है। शाम को व्रत कथा कह कर पूजा पूर्ण की जाती हैं। पूजा में स्वाऊ माता और ननद-भाभी या चम्पा और चमेली की कहानी कही जाती है।