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10 नवंबर को मनाया जायेगा धनतेरस: जानिए किस शुभ मुहूर्त में करें धनतेरस में सोने, चांदी और बर्तनों की खरीदारी

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सनातन धर्म में त्रयोदशी तिथि धन, समृद्धि व स्वास्थ्य प्रदान करने वाली मानी गई है विशेषकर कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि जो कि 10 नवंबर, 2023 को है। महर्षि भृगु जी व उनकी पत्नी ख्याति से उत्पन्न संतान जो कि आरोग्य प्रदान करने वाले चतुर्भुज रूप में पैदा हुई। जिनकी ऊपर की दो भुजाओं में शंख व चक्र धारण किये हुए हैं। अन्य दो भुजाओं में औषधी व जल का तथा दूसरे में अमृत कलश लिए हुए हैं। त्रयोदशी तिथि पर समुद्र मंथन के दिन भगवान धनवंतरी जी समुद्र में से एक कलश लेकर प्रकट हुए थे, जो कि अमृत से भरा हुआ था। वह अमृत उत्तम स्वास्थ्य, बल, दीर्घायु प्रदान करने वाला था। इसलिए धनतेरस के दिन कलश खरीदने का प्रचलन है क्योंकि उसके पीछे जनमानस का यह भाव रहता है कि- जिस प्रकार वह अमृत कलश सौभाग्य, वैभव, स्वास्थ्य, बल व दीर्घायु प्रदान करने वाला था, उसी प्रकार यह कलश भी सब पदार्थ प्रदान करने वाला हो जाए।



धनतेरस के दिन सामर्थ्यानुसार चांदी, सोने या स्टील इत्यादि कई धातुओं के बर्तन एवं जेवर इत्यादि खरीदने का प्रचलन है ताकि उनके घर भी भौतिक सुख इत्यादि प्राप्त हो। इस दिन भगवान धन्वंतरि जी की पूजा का भी विधान है ताकि निरोग रहने का आर्शीवाद प्राप्त हो। इस तिथि को धनतेरस के साथ-साथ धन्वंतरि जयंती और धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है।

मान्यताओं के अनुसार, इस धनतेरस की तिथि पर धन्वंतरि जी, कुबेर जी, मां लक्ष्मी जी, श्री गणेश जी व यमराज की पूजा करने से जातकों के जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती है। रोगों से छुटकारा मिलता है और अच्छे स्वास्थ्य में भी वृद्धि होती है। सुख-समृद्धि, धन तथा वैभव का वरदान मिलता है।

प्राचीन परंपराओं के अनुसार, इस दिन लोग आपने घरों में सोने-चांदी के आभूषण, नए बर्तन, चांदी के सिक्के, नए कपड़े आदि सामर्थानुसार चीजें लेकर आते हैं। अगर कोई सोना या चांदी की वस्तु न खरीद सके तो उन्हें कम से कम एक पीतल की वस्तु ज़रूर खरीदनी चाहिए। इसके अलावा पीली कौड़ियां व धनियां खरीद सकते हैं। इन चीजों के आगमन से घर में सकारात्मकता व शुभता आती है। इस दिन खीर, चावल, सफेद कपड़ा, चीनी, बताशे, कुत्तों व बिल्लियों को दूध व गाय को रोटी इत्यादि का यथासंभव दान करने से संचित धन में वृद्धि होती है एवं वह संचित धन सुख देने वाला हो जाता है तथा धन की कमी भी दूर हो जाती है।

धनतेरस के दिन यमराज जी के निमित्त दान स्वरूप घर में बना आटे का देसी घी का दीपक संध्या के समय दान के रूप में दक्षिण दिशा में ज़रूर जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर में अकाल मृत्यु नहीं होती व आरोग्यता का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

धनतेरस पूजा मुहूर्त – शाम 05:45 से लेकर 07:39 तक।
अवधि – 01 घण्टा 54 मिनट्स
यम दीपम शुक्रवार- 10 नवम्बर 2023 को
प्रदोष काल- शाम 05:29 से 08:08 बजे तक
वृषभ काल- शाम 05:45 बजे से 07:39 तक
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- 10 नवम्बर 2023 को 12:35 से
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 11 नवम्बर 2023 01:57 तक

 

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