नेशनल न्यूज़। बांग्लादेश की एक अदालत ने मंगलवार को हिंदू संगठन ‘सम्मिलित सनातनी जोत’ के नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया। यह घटना चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम की अदालत में हुई। अदालत ने यह आदेश करीब 11:45 बजे दिया। चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज होने के बाद उनके समर्थकों ने अदालत परिसर में नारेबाजी शुरू कर दी। उनके अनुयायी इस फैसले के खिलाफ विरोध दर्ज करा रहे थे।
भारत ने जताई गहरी चिंता
भारत सरकार ने इस घटनाक्रम पर गहरी चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि बांग्लादेश सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। मंत्रालय ने कहा, “यह घटना बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के संदर्भ में आई है।” बयान में कहा गया, “अल्पसंख्यकों के घरों और प्रतिष्ठानों में आगजनी, लूटपाट और मंदिरों की अपवित्रता जैसी घटनाएँ बढ़ गई हैं।” भारत सरकार ने यह भी चिंता जताई कि अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि जो लोग शांतिपूर्वक अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठा रहे हैं, उनके खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी
बांग्लादेश पुलिस ने चिन्मय कृष्ण दास को हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया। वह ढाका से चट्टगांव यात्रा कर रहे थे। पुलिस प्रवक्ता रिजाउल करीम ने बताया कि उन्हें नियमित पुलिस के अनुरोध पर हिरासत में लिया गया, लेकिन गिरफ्तारी के कारणों का खुलासा नहीं किया गया।
राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप
चिन्मय दास पर आरोप है कि उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। यह आरोप उस समय सामने आया जब 30 अक्टूबर को चट्टगांव के कोतवाली पुलिस थाने में उनके खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था। मामले में यह आरोप लगाया गया कि हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान उन्होंने चट्टगांव के न्यू मार्केट इलाके में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया।
बांग्लादेश में बढ़ती धार्मिक हिंसा
भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा की निंदा की है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि हिंसक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है और बांग्लादेश सरकार को इन घटनाओं पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत याचिका का खारिज होना बांग्लादेश में बढ़ती धार्मिक तनाव और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के संदर्भ में एक और गंभीर घटना है।