Close

कही-सुनी (08 DEC-24) : साय मंत्रिमंडल विस्तार के बादल नहीं छंट रहे

रवि भोई की कलम से

विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल के विस्तार पर कुहासा छाया हुआ है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री श्री साय राज्यपाल रमेन डेका से मिलने गए और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले तो कइयों के चेहरे पर रौनक आ गई थी, पर अब चर्चा चल पड़ी है कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। साय मंत्रिमंडल में अभी मंत्री के दो पद खाली हैं और 3-4 को बदले जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। माना जा रहा है कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के पहले व्यापक फेरबदल से नाराजगी की आशंका के चलते मंत्रिमंडल विस्तार को टाला जा रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार पर बादल छाए रहने के कारण दावेदारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। खबर है कि कुछ दावेदार अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ माहौल बनाने में लग गए हैं।

मुख्यमंत्री ने की अरुण साव की तारीफ

तीन दिसंबर को कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में आयोजित जनादेश दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उपमुख्यमंत्री अरुण साव की जमकर तारीफ़ की। 2023 के विधानसभा चुनाव के वक्त अरुण साव प्रदेश भाजपा अध्यक्ष थे। कहते हैं मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने भाषण में साफ़-साफ़ कहा कि अरुण साव के नेतृत्व में भाजपा ने कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंका। अरुण साव की प्रशंसा के कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री की तारीफ़ का संकेत है कि सरकार में साव का कद बढ़ गया है। पिछले कुछ महीनों से अरुण साव मुख्यमंत्री के साथ कई कार्यक्रमों में नजर भी आ रहे हैं। वैसे भी मुख्यमंत्री के बाद साव के पास भारी -भरकम और महत्वपूर्ण विभाग हैं। आने वाले दिनों में नगरीय निकाय के चुनाव होने वाले हैं, उसमें अरुण साव का काम नजर आएगा। साव अभी नगरीय प्रशासन मंत्री हैं।

बिना दोष के 78 दिन की सजा ?

कवर्धा कांड में निलंबित आईपीएस विकास कुमार को सरकार ने बहाल कर दिया है। सरकार ने 2020 के आईपीएस विकास कुमार को कवर्धा कांड में पाक-साफ़ भी घोषित कर दिया है। कवर्धा गृह मंत्री विजय शर्मा का विधानसभा क्षेत्र और गृह जिला है। कवर्धा कांड में एक युवक की पुलिस प्रताड़ना से मौत के बाद सरकार ने जिले में पदस्थ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विकास कुमार को निलंबित कर दिया था । इस साल 18 सितंबर को निलंबित एएसपी को सरकार ने डीजीपी की रिपोर्ट के आधार पर छह दिसंबर को बहाल कर दिया। कहते हैं आईपीएस के निलंबन की सूचना न तो भारत सरकार को दी गई और न ही कोई जाँच दल बनाया गया, यहां तक की आईपीएस को कोई आरोप पत्र भी नहीं दिया गया। डीजीपी ने कवर्धा कांड में एएसपी की न तो अनियमितता पाई और न ही लापरवाही। अब सवाल उठ रहा है कि जब एएसपी विकास कुमार ड्यूटी पर चाकचौबंद थे, तो आनन-फानन में निलंबित क्यों किया गया और इतने दिन निलंबित क्यों रखा गया ? अब सरकार ने विकास कुमार के निलंबन अवधि को ड्यूटी मान लिया है। आदेश से लगता है सरकार ने हड़बड़ी और दबाव में फैसला लिया था। विकास कुमार के निलंबन के बाद सरकार ने कबीरधाम के कलेक्टर पद से जन्मजेय महोबे और एसपी पद से अभिषेक पलल्व को हटा दिया था।

महापौर की तैयारी में प्रमोद

कांग्रेस नेता और पूर्व महापौर प्रमोद दुबे एक बार फिर रायपुर से महापौर चुनाव की तैयारी में लग गए हैं। प्रमोद दुबे अभी रायपुर नगर निगम के सभापति हैं। रायपुर लोकसभा का चुनाव लड़ चुके प्रमोद दुबे पिछली दफे भी महापौर बनना चाहते थे, पर तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रमोद की जगह ऐजाज ढेबर को प्राथमिकता दी। समझौते के तौर पर प्रमोद को सभापति की कुर्सी मिल गई। इस बार महापौर जनता सीधे चुनेगी, ऐसे में जिसकी जमीन मजबूत होगी, वही मैदान मार पाएगा। रायपुर महापौर का पद सामान्य रहता है या फिर महिला या ओबीसी के लिए आरक्षित,यह लाटरी से तय होगा, पर प्रमोद दुबे ने सक्रियता दिखाकर अपने इरादे साफ़ कर दिए हैं। प्रमोद दुबे रायपुर दक्षिण विधानसभा का उपचुनाव भी लड़ना चाहते थे। सबसे पहले फार्म भी खरीद लिया था, पर कांग्रेस पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दी और आकाश शर्मा को मौका दे दिया। आकाश शर्मा चुनाव हार गए।

मंत्रालय स्टाफ की सर्जरी

वैसे तो मंत्रालय में पदस्थ कर्मचारियों का विभाग बदलता है , लेकिन पिछले दिनों जिस तरह थोक में मंत्रालय स्टाफ का प्रमोशन और विभाग बदले हैं, वह अपने आप में अनूठा है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद मंत्रालय में करीब 176 कर्मचारियों का पहली बार तबादला हुआ है। एक विभाग या सेक्शन में जमे कर्मचारी इधर से उधर किए गए हैं, तो मलाईदार सेक्शन में तैनात लोगों को भी हिला दिया गया है। प्रमोशन पाने के बाद वहीं पदस्थ करने की परंपरा को भी तोड़ दिया गया है। कहते हैं मंत्रालय में व्यापक सर्जरी की मांग कर्मचारियों का एक धड़ा कर रहा था। नए प्रयोग से मंत्रालय का कामकाज कितना तेज होता है, यह समय बताएगा, लेकिन इस व्यापक सर्जरी से सालों से लूप लाइन में पड़े कर्मचारी गदगद हैं।

डीजीपी के लिए तीन नामों का पैनल

कहते हैं छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी के लिए अब तीन नामों का पैनल भारत सरकार को भेजा गया है। कहा जा रहा है कि डीजीपी के लिए पुलिस मुख्यालय से पहले पांच नाम का पैनल गया था। दिल्ली से आपत्ति के बाद कांट-छांटकर तीन नाम कर दिया गया। बताते हैं पहले डीजी अरुणदेव गौतम, पवनदेव, हिमांशु गुप्ता, एडीजी प्रदीप गुप्ता और एसआरपी कल्लूरी के नामों का पैनल बना था। वर्तमान डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल पांच फ़रवरी तक है। वैसे कुछ लोगों का कहना है अशोक जुनेजा छह महीने और एक्सटेंशन के लिए प्रयासरत हैं। अब अंतिम निर्णय भारत सरकार को लेना है। पांच फ़रवरी के बाद अशोक जुनेजा ही डीजीपी रहते हैं या किसी नए को कमान देते हैं, इसका लोगों को इंतजार है।

पुलिस में फेरबदल की कवायद

कहते हैं कि अगले हफ्ते राज्य में पुलिस के कुछ आला अफसरों में फेरबदल संभव है। चर्चा है कि कई एसपी और आईजी स्तर के अधिकारी प्रभावित हो सकते हैं। मैदानी इलाके के साथ सरगुजा और बस्तर संभाग के पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर की संभावना है। साय सरकार में पुलिस महकमे में शीर्ष स्तर पर छिटपुट तबादले होते रहे हैं, पर व्यापक परिवर्तन नहीं हुआ है, जबकि राज्य में कानून-व्यवस्था बड़ा मुद्दा बन गया है।

भूपेश पीड़ित पुलिस अफसरों की गुहार

भूपेश सरकार में निशाने पर रहे दो पुलिस अफसरों ने साय सरकार को आवदेन देकर न्याय की गुहार की है। बताते हैं कि दोनों पुलिस अफसरों ने कहा है कि पिछली सरकार ने उनके साथ दुर्भावनापूर्वक कार्रवाई की। खबर है कि साय सरकार ने दोनों पुलिस अफसरों के आवदेन पर विधि विभाग और महाधिवक्ता से राय मांगी है। अब देखते हैं क्या होता है। साय को न्याय के लिए आवदेन करने वाले पुलिस अफसरों में एक अब रिटायर्ड हो चुके हैं, जबकि एक अभी सेवा में हैं। कांग्रेस सरकार ने दोनों के खिलाफ कई जाँच शुरू करने के साथ निलंबन की कार्रवाई की थी।

सचिव स्तर में फेरबदल की चर्चा

कहा जा रहा है कि अगले हफ्ते मंत्रालय में सचिव स्तर के अफसरों में कुछ फेरबदल हो सकता है। माना जा रहा है कि सचिव स्तर के अधिकारी अमित कटारिया की सामान्य प्रशासन विभाग में आमद के बाद अब तक पोस्टिंग लंबित है। माना जा रहा है कि इस फेरबदल में कुछ सचिवों को हलका किया जा सकता है।अभी कुछ अफसरों के पास दो-तीन विभाग हैं। कुछ अफसर ऐसे हैं, जो लंबे समय से एक ही विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, उनमें कुछ बदलाव किया जा सकता है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )

 

scroll to top