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कही-सुनी (12 NOV-23): छत्तीसगढ़ में 17 नवंबर के बाद तेज हो सकती है ईडी की कार्रवाई

रवि भोई की कलम से

माना जा रहा है कि 17 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान निपटने के बाद छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई तेज हो सकती है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के एक बड़े नेता भी ईडी के लपेटे में आ सकते हैं। इसके अलावा दो विधायकों पर भी सख्ती हो सकती है। ये विधायक पहले से ही ईडी के टारगेट में है। चर्चा है कि ईडी दोनों को गिरफ्तार कर सकती है। महादेव ऐप मामले में भी ईडी जांच का दायरा बढ़ा सकती है। कहते हैं कि चुनाव के चलते ईडी कार्रवाई धीमी कर दी थी। ईडी की जाल से बचने के लिए एक कांग्रेस नेता लंबे समय से गायब हैं। खबर है कि ईडी उन्हें भी गिरफ्तार करने के लिए जाल बिछाने वाली है। अब देखते हैं आगे क्या होता है।

चुनाव में चांदी काटते कलेक्टर

कहते हैं चुनाव के मौसम में राज्य के कुछ कलेक्टरों की दसों अँगुलिया घी में डूबी हुई है। चर्चा है कि चुनाव के नाम पर कलेक्टर किसी की भी गाड़ी अटैच कर ले रहे हैं तो ऑब्जर्वर के सेवा सत्कार के नाम पर दिवाली मना रहे हैं। कहते हैं कि कुछ कलेक्टर महोदय ऑब्जर्वर की सेवा सत्कार में अपने जिलों के मलाईदार विभागों के अफसरों की ड्यूटी लगा रखे हैं। वे इन विभागों के अफसरों से ऑब्जर्वर को महंगे होटल में रुकवा रहे हैं तो दिवाली के महंगे गिफ्ट दिलवा रहे हैं और अपने लिए भी गिफ्ट बुलवा रहे हैं। एक आदिवासी बहुल जिले के कलेक्टर साहब ने तो चुनावी मौसम में अपने लिए घरेलू सामान खरीदवा लिए। चुनाव के समय आयोग का डंडा चलता है। अब आयोग के प्रतिनिधि को कौन क्या कहे ?

आईपीएस ईडी के निशाने में

ईडी ने महादेव ऐप मामले में दो आईपीएस अफसरों को तलब कर उनसे पूछताछ कर चुकी है। चर्चा है कि कुछ और आईपीएस अफसर ईडी की जद में आ सकते हैं। इनमें कुछ आईजी स्तर के तो कुछ एसपी स्तर के अफसर हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि ईडी महादेव ऐप से जिन पुलिस अफसरों के तार जुड़े हैं, उन्हें जल्द नोटिस जारी कर सकती है। माना जा रहा है कि 17 नवंबर के बाद ईडी का एक्शन तेज हो सकता है। वैसे छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप की गुत्थी उलझते ही जा रही है और इस पर राजनीति भी खूब हो रही है। महादेव ऐप विधानसभा चुनाव में भी खूब उछल रहा है।

चुनाव के केंद्र में ढेबर बंधु

रायपुर दक्षिण के भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल के साथ पिछले दिनों घटित घटना के बाद ढेबर बंधु चुनाव के केंद्र में आ गए हैं। खासतौर से महापौर एजाज ढेबर ज्यादा चर्चा में आ गए हैं। यहाँ से महंत रामसुन्दर दास कांग्रेस प्रत्याशी हैं, पर घटना के बाद भाजपा ने ढेबर बंधु को निशाने पर ले लिया है। कहा जा रहा है कि बैजनाथपारा की घटना के पहले माहौल कुछ और था। घटना के बाद माहौल कुछ और हो गया है। इस घटना के बाद कहा जाने लगा है कि भाजपा ने नहले पर दहला चल दिया।

पहले चरण के मतदान के बाद हवा में कांग्रेस -भाजपा

कहते हैं छत्तीसगढ़ में सत्ता का रास्ता बस्तर से खुलता है। बस्तर में मतदान हो चुका है। बस्तर इलाके के साथ राजनांदगांव और कवर्धा जिले में भी वोटिंग हो चुकी है, इसके बाद राजनीतिक दल अपने-अपने तरह से जीत का आंकलन कर रहे हैं। कांग्रेस पहले चरण के 20 सीटों में जीत का दावा कर रही है तो भाजपा भी पीछे नहीं है,वह भी 15-16 सीटों पर जीत की बात कर रही है । लोग अनुमान लगा रहे हैं कि पहले चरण के मतदान वाले इलाकों में 2018 जैसा पिक्चर नहीं रहने वाला है। पहले चरण के मतदान वाले इलाकों में मुकाबला साफ़ तौर से भाजपा और कांग्रेस में ही दिखाई दे रहा है।

अमित जोगी के वजूद का सवाल

कहा जा रहा है अमित जोगी अपने पिता अजीत जोगी से दो कदम आगे चल रहे हैं। अजीत जोगी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने का ताल ठोंका था , पर लड़े नहीं। अमित जोगी ने कछुआ चाल चलते वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ पाटन में मैदान में उतर गए हैं। 2018 में अजीत जोगी ने सड़क मार्ग से चुनाव प्रचार किया था,पर 2023 में अमित जोगी हेलीकॉप्टर में घूम रहे हैं। जोगी कांग्रेस ने 81 प्रत्याशी खड़े किए हैं, उनमें से कितने लोग जीतकर विधानसभा पहुंचते हैं , उससे अमित जोगी का वजूद तय होगा।

भाजपा नेता की अमित शाह से शिकायत

कहते हैं भाजपा के एक प्रत्याशी ने अपने एक वरिष्ठ नेता की पिछले दिनों अमित शाह से शिकायत की और उसे हराने के लिए बागी प्रत्याशी खड़े करने का आरोप लगाया। भाजपा प्रत्याशी को अमित शाह का विश्वस्त माना जाता है। कहा जाता है प्रत्याशी और भाजपा नेता की लड़ाई पुरानी है, पर इन दिनों प्रत्याशी को अमित शाह का आशीर्वाद मिलने से भाजपा के कुछ नेता परेशान हैं और उन्हें दबाने में लग गए हैं। माना जा रहा है कि प्रत्याशी चुनाव जीत गया तो आने वाले दिनों में भाजपा के कई दिग्गजों के लिए मुश्किल पैदा हो जाएगी। इस कारण प्रत्याशी को चुनाव हराने की जुगत चल रही है।

तेल और तेल की धार देखने में लगे अफसर

इन दिनों राज्य के आला अफसर “तेल देखो, तेल की धार देखो” की तर्ज पर चल रहे हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे के मुकाबले की बात हो रही है। ऐसे में किसकी सरकार बनेगी, उसका आंकलन कोई नहीं कर पा रहा है। दोनों दल किसानों, मजदूरों और महिलाओं को लुभाने वाले घोषणा पत्र जारी कर देने से चुनाव काफी रोचक लग रहा है। इस कारण ऊंट किस करवट बैठेगा, कोई कुछ नहीं कह पा रहा है। इस कारण आला अफसर समय के इंतजार में हैं।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )

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