नेशनल न्यूज़। हर गुजरते पल के साथ बढ़ती उम्मीदों और उत्साह के बीच भारत आज चांद पर नया इतिहास रचने को तैयार है। मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Update) आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद पर टच डाउन होगा। एक तरफ रूस का चंद्र मिशन लूना-25 (Luna-25) जो क्रैश हो चुका है लेकिन भारत ने इससे सबक सिखते हुए ISRO के वैज्ञानिक भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग दक्षिणी ध्रुव के पास होगी। वहीं, पहले जो चंद्रयान-3 अंतरिक्ष में 40 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रहा था, वहं अब लैंडिंग कछुए की गति से भी कम स्पीड में करेगा ताकि किसी भी तरह की गलती की गुंजाइश न हो।
लैंडिंग से पहले ISRO ने कहा कि वह अपने महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) को बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर उतारने के वास्ते ‘ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस’ (एएलएस) शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो अब तक किसी भी देश को हासिल नहीं हुई है। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर लिखा, ‘‘ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस (ALS) शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार। लैंडर मॉड्यूल (एलएम) के लगभग 17.44 बजे (भारतीय समयानुसार 5.44 बजे) निर्धारित बिंदु पर पहुंचने का इंतजार है।”
इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, लैंडिंग के लिए लगभग 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर ‘पॉवर ब्रेकिंग फेज’ में कदम रखता है और गति को धीरे-धीरे कम करके, चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए अपने चार थ्रस्टर इंजन की ‘रेट्रो फायरिंग’ करके उनका इस्तेमाल करना शुरू कर देता है। उन्होंने बताया कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण लैंडर ‘क्रैश’ न कर जाए। अधिकारियों के अनुसार, 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर केवल दो इंजन का इस्तेमाल होगा और बाकी दो इंजन बंद कर दिए जाएंगे, जिसका उद्देश्य सतह के और करीब आने के दौरान लैंडर को ‘रिवर्स थ्रस्ट’ (सामान्य दिशा की विपरीत दिशा में धक्का देना, ताकि लैंडिंग के बाद लैंडर की गति को धीमा किया जा सके) देना है।