रवि भोई की कलम से
कहते हैं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस में किसी मंत्री को नहीं बुलाकर अपनी ताकत दिखा दी। माना जा रहा है कि अब तक बैठकों में उनके इर्द-गिर्द मंत्री नजर आते थे, ऐसे में संदेश जा रहा था कि वे मंत्रियों पर ही निर्भर हैं, लेकिन कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस में मंत्रियों को दूर रखकर विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री की ताकत दिखा दी। कहा जा रहा है कि कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस में पहले सभी मंत्रियों को बुलाने की योजना थी, पर सलाहकारों की राय पर योजना बदल दी गई। यहां तक एसपी कांफ्रेंस में गृहमंत्री को भी दूर रखा गया। चर्चा है कि सरकार कि छवि चमकाने मुख्यमंत्री ने कड़े फैसले भी लेने लग गए हैं। ख़राब परफॉर्मेंस पर बस्तर कलेक्टर और मुंगेली के एसपी की विदाई, फिर कवर्धा जिले के कांड में कलेक्टर-एसपी को हटाने के साथ रेंगाखार थाने के पूरा स्टाफ बदल देना और एक आईपीएस समेत तीन लोगों का निलंबन कठोर निर्णय का नमूना है।
गाने के शौकीन कलेक्टर साहब
कहते हैं एक छोटे जिले के कलेक्टर साहब गाने के बड़े शौकीन हैं। कभी-कभी तो साहब सरकारी मीटिंग में ही गाना गाने लग जाते हैं। साहब के बारे में आम धारणा है कि वे गुहार करने से काम नहीं करते, लेकिन कोई उनके गाने की तारीफ कर दे तो साहब फटाफट उसका काम कर देते हैं। जिले के लोग साहब के मिजाज को समझ गए हैं, इसलिए काम के लिए पहले कुछ नहीं कहते, उनके गाने की तारीफ़ से बात शुरू करते हैं, फिर पेंडिग फाइल की बात करते हैं। कांग्रेस की सरकार में साहब पर एक बार गाज भी गिर चुकी है। किस्मत ने साथ दिया और साहब भाजपा राज में कलेक्टर की कुर्सी पर बैठ गए।
देर आयद, दुरुस्त आयद
सरकार ने कवर्धा जिले के लोहरीडीह गांव में उपद्रव के बाद पुलिस की पिटाई से एक युवक की मौत के बाद सख्त एक्शन लेते हुए कलेक्टर और एसपी को हटाने के साथ रेंगाखार थाने के पूरे स्टाफ को बदल दिया। एक आईपीएस समेत तीन लोगों को निलंबित भी कर दिया। युवक की मौत के बाद सरकार ने एएसपी को तो निलंबित कर दिया, लेकिन बाकी फैसला लेने में उसे दो दिन लग गए। अब सरकार ने फैसला ले लिया है तो लोग कह रहे हैं देर आयद, दुरुस्त आयद। लोग कवर्धा की घटना को पुलिस की चूक मान रहे हैं। कवर्धा संवेदनशील जिला है और गृह मंत्री विजय शर्मा का गृह जिला भी, ऐसे में जिले में अमन -चैन के लिए एसपी की बड़ी भूमिका हो जाती है। जिले के एसपी रहे डॉ अभिषेक पल्लव कानून-व्यवस्था की जगह एक वायरल वीडियो को लेकर सुर्खियों में हैं और कांग्रेस के निशाने पर भी।
लाखों पचा गए नेताजी
कहते हैं एक नेताजी अच्छी पोस्टिंग और एक पुराने मामले को रफा-दफा करने के लिए एक अफसर से अच्छी खासी मोटी रकम ले ली और न पोस्टिंग करा पाए और न ही मामला निपटवा पाए। जरूर लाखों हजम कर गए। खबर है कि नेताजी ने अफसर को मुख्यधारा में लाने के लिए ठेका लिया था। अफसर के मुख्यधारा में आने में एक पुराना मामला रोड़ा बन रहा था, सो नेताजी ने उसके खात्मे की भी सुपारी ले ली। अफसर के साथ ‘माया मिली न राम’ वाली कहावत चरितार्थ हो गई। नेताजी जिस अफसर की जगह उन्हें पदस्थापित करवाना चाहते थे, वे अपनी जगह कुंडली मारे रहे,ऊपर से ऐसा पव्वा लगाया कि उनको कोई हिला नहीं पाया, उलटे उनकी जगह जाने का ख्वाब देखने वाले को ही बाहर होना पड़ा।
सौदान सिंह की यात्रा चर्चा में
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह की दो दिनी छत्तीसगढ़ यात्रा चर्चा में रही। सौदान सिंह करीब दो दशक तक छत्तीसगढ़ में संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर रहे। वैसे सौदान सिंह आए तो भाजपा की नेता सरोज पांडे के पिताजी की तेरहवीं कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए, पर यहां की राजनीति से लंबे समय तक चोली-दामन का साथ रहने के कारण कई लोग उनसे मिले। कुछ भाजपा नेता ‘भाई साहब’ से खुलकर मिले तो, कुछ डरे छिपे। कुछ लोग मिले भी नहीं और कन्नी काट गए। सौदान सिंह छत्तीसगढ़ के कई नेताओं के घर भी गए, कहीं चाय पी, तो कहीं भोजन किया। वे मुख्यमंत्री निवास भी गए। कहते हैं वर्षों बाद भी छत्तीसगढ़ आकर सौदान सिंह चर्चा में रहे।
संघ की बैठक में मंत्रियों की हाजिरी
कहते हैं संघ के समन्वय समिति की बैठक में राज्य के चार मंत्रियों को तलब किया गया था और उन्हें नसीहत भी दी गई। संघ के समन्वय समिति की बैठक पिछले दिनों रायपुर में हुई थी। बैठक में संघ के पदाधिकारी प्रेम सिदार, राष्ट्रीय संगठन सह सचिव शिवप्रकाश और अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। खबर है कि मंत्रियों को कामकाज के तौर -तरीके के अलावा छवि और व्यवहार के बारे में भी सीख दी गई। समन्वय समिति की बैठक में मंत्रियों के बुलावे की राजनीतिक क्षेत्र में बड़ी चर्चा है।
रायपुर दक्षिण में चुनाव की घोषणा अक्टूबर में ?
कहा जा रहा है कि रायपुर दक्षिण विधानसभा में उपचुनाव की घोषणा अक्टूबर के पहले या दूसरे सप्ताह में हो जाएगी। बृजमोहन अग्रवाल के सांसद चुने जाने से यह सीट खाली हो गई है। इस सीट से बृजमोहन अग्रवाल लगातार आठ बार विधायक रहे हैं। माना जा रहा है बृजमोहन अग्रवाल के पसंद के किसी व्यक्ति को यहां से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। वैसे यहाँ से भाजपा के कई नेता दावेदारी कर रहे हैं। खबर है कि इस सीट के कुछ दावेदारों को निगम-मंडल में पदाधिकारी बनाकर संगठन भीड़ कम करना चाहती है। चुनाव की घोषणा से पहले ही भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस सीट में जीत की रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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