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कही-सुनी (18 JUNE -23): क्यों सफाई देनी पड़ रही है टी एस सिंहदेव को ?

रवि भोई की कलम से

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव समय-समय पर बयान देकर राजनीति को गरमाते रहते हैं। आजकल उनके कांग्रेस छोड़कर कहीं न जाने की बात चर्चा में हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उनकी दूरी कई बार सार्वजनिक हो चुकी है। 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले भूपेश बघेल और टी एस सिंहदेव की जोड़ी को जय-वीरू की जोड़ी के रूप में देखा जाता रहा है। सत्ता में आने के बाद दोनों के संबंधों में दरार नजर आई। टी एस सिंहदेव ने अपनी उपेक्षा से दुखी होकर एक विभाग छोड़ भी दिया। अब दोनों ने गले मिलकर जय-वीरू वाली छवि जनता के सामने पेश की। गले से ज्यादा जरुरी है दिल मिलना। टी एस सिंहदेव के स्वास्थ्य विभाग में अफसरों में हेरफेर को एक रिकार्ड माना जा रहा है। साढ़े चार साल में स्वास्थ्य विभाग में 4-5 प्रमुख सचिव और सचिव बदल चुके हैं। यही हाल जीएसटी कमिश्नर और स्वास्थ्य संचालक का भी है। अभी टी एस सिंहदेव के साथ आस्ट्रेलिया दौरे पर गए स्वास्थ्य सचिव प्रसन्ना आर और स्वास्थ्य संचालक के पद से भीमसिंह का तबादला चर्चा में हैं। टी एस सिंहदेव का परिवार पूरी तरह से कांग्रेसी है। सिंहदेव की माताजी देवेंद्र कुमारी सिंहदेव संयुक्त मध्यप्रदेश में मंत्री थीं, उनके पिता एम एस सिंहदेव मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव रहे, फिर दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में राज्य योजना मंडल के उपाध्यक्ष रहे। बहन भी हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस की विधायक रहीं। मध्यप्रदेश में एम एस सिंहदेव को दिग्विजय सिंह का सलाहकार माना जाता था। कट्टर कांग्रेसी होने के बाद भी टी एस सिंहदेव के कांग्रेस में बने रहने की बात करना लोगों के गले उतर नहीं रही है। कहा जा रहा है कि टी एस सिंहदेव के मन में कुछ तो मलाल है, इस कारण मौका मिलते ही कांग्रेसी होने का राग आलाप देते हैं।

आईएएस अफसरों में धुकधुकी

कहते हैं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में एडिशनल सीईओ और ज्वाइंट सीईओ के नाम पर कुछ आईएएस अफसरों का दिल धुक-धुक करने लगा है। अब तक एडिशनल सीईओ रहीं शिखा राजपूत तिवारी को सरगुजा संभाग का आयुक्त बना दिया गया है। कहा जा रहा है कि एडिशनल सीईओ के लिए 2007 से 2012 बैच के 7 अफसरों का नाम मुख्यमंत्री को भेजा गया है। इसके बाद तीन नामों का पैनल भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा। 2023 का विधानसभा चुनाव का बोझ किस अफसर पर आन पड़ता है, इसको लेकर 2007 से 2012 बैच के अफसर सकते में हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में दो ज्वाइंट सीईओ भी बनाए जाने हैं। अब ज्वाइंट सीईओ आईएएस होते हैं या सीनियर डिप्टी कलेक्टर, इसको लेकर भी कयासबाजी चल रही है।

चलते रहेंगे अशोक जुनेजा

डीजीपी अशोक जुनेजा भले 30 जून को 60 साल के हो जाएंगे, पर अगस्त तक तो वे पद पर बने रहेंगे। 1989 बैच के आईपीएस जुनेजा 11 नवंबर 2021 को डीजीपी बनाए गए थे, लेकिन संघ लोकसेवा आयोग ने डीजीपी के पद पर उनका कन्फर्मेशन अगस्त 2022 में किया था। ऐसे में उनकी नियुक्ति की तारीख अगस्त से और यूपीएससी के कन्फर्मेशन के बाद डीजीपी के पद पर दो साल की गणना की जा रही है। अगस्त के बाद उनके एक्टेंशन के लिए केंद्र से अनुमति लेनी पड़ेगी। राज्य में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं , ऐसे में 2023 में चुनाव के वक्त अशोक जुनेजा ही डीजीपी रहेंगे या कोई और के पास कमान होगी, इसके लिए इंतजार करना होगा। अशोक जुनेजा के बाद 1990 बैच के आईपीएस राजेश मिश्रा वरिष्ठता क्रम में हैं। राजेश मिश्रा जनवरी 2024 में रिटायर होंगे। कहते हैं कुछ लोग राजेश मिश्रा को डीजीपी बनाने के पक्ष में हैं। किस्मत साथ दे दे तो कुछ महीनों के लिए राजेश मिश्रा की लाटरी लग सकती है।

जमीन तैयार करने में लगे हैं अरुण साव

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव अपनी जमीन तैयार करने में जी-जान से लग गए हैं। कहते हैं आरएसएस की पृष्ठभमि वाले अरुण साव को हाईकमान का वरदहस्त मिल गया है। इस कारण अरुण साव जनता और कार्यकर्ता दोनों से प्रगाढ़ता बढ़ाने और उनके दुःख दर्द जानने व समझने में लगे हैं। छत्तीसगढ़ के प्रभारी ओमप्रकाश माथुर के 10 से 14 जून तक के कार्यक्रम में भी अरुण साव की सक्रियता चर्चा में है। ओमप्रकाश माथुर 10 से 14 जून के बीच पांच दिनों में जमीन पर उतरकर भोजन और चर्चा के बहाने पार्टी जनों व आम लोगों से मिले। राजिम से लेकर मोहला मानपुर जैसे इलाकों में ओमप्रकाश माथुर जैसे दिग्गज नेता के धूल उड़ाने का फायदा 2023 के विधानसभा चुनाव में कितना मिलता है, यह तो समय ही बताएगा ? पर दिल्ली से आकर ओ पी माथुर के जिला, तहसील और ब्लाक मुख्यालय में पहुँचने से उन्हें पार्टी की जमीनी हकीकत का अंदाजा भी होगा ही, साथ में निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में जोश भी जगेगा।

आईएफएस साहू और राव का प्रमोशन इसी माह ?

कहते हैं पीसीसीएफ बने बिना पीसीसीएफ की कुर्सी पर विराजे वी श्रीनिवास राव को पदोन्नत करने के लिए इस महीने डीपीसी हो जाएगी। 1988 बैच के आईएफएस आशीष कुमार भट्ट इस महीने रिटायर हो जाएंगे। कहा जा रहा है कि उनके रिटायरमेंट की प्रत्याशा में डीपीसी हो जाएगी, फिर 1990 बैच के आईएफएस वी श्रीनिवास राव के नाम के आगे से एपीसीसीएफ का तगमा हट जाएगा और वे पूर्णकालीक पीसीसीएफ हो जाएंगे। 1990 बैच में वी श्रीनिवास राव से वरिष्ठता क्रम में अनिल साहू ऊपर हैं। अनिल साहू अभी छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के प्रबंध संचालक हैं। ऐसे में अनिल साहू भी पीसीसीएफ बन जाएंगे। कहा जा रहा है फिलहाल वे विभाग में नहीं आ पाएंगे। पर्यटन मंडल में रहेंगे, पर वेतन-भत्ते का लाभ मिल जाएगा। रायपुर के सीएफ जे आर नायक भी इस महीने रिटायर हो रहे हैं। कई सीएफ -डीएफओ भी एक जगह तीन साल से जमे हैं। माना जा रहा है कि वन विभाग में इस महीने सीएफ और डीएफओ की लंबी लिस्ट निकल सकती है।

चावल गड़बड़ी में घुसी ईडी

कहते हैं ईडी कोयला और शराब के बाद अब चावल गड़बड़ी में घुस गई है। खबर है कि पिछले दिनों पांच राइस मिलरों को नोटिस जारी कर तलब किया है। चावल घोटाले में एक कांग्रेस नेता पर गाज गिरने का संकेत है। ये नेता चावल के पुराने खिलाड़ी हैं। चावल मामले में 26 करोड़ के एफडी की बड़ी चर्चा है। कहा जा रहा है कि अब ईडी कोर्ट-कचहरी के चक्कर में है। इसके अलावा ईडी दस्तावेजी सबूत जुटाने में लगी है। माना जा रहा है कि ईडी जून के आखिरी हफ्ते या जुलाई के पहले हफ्ते में एक्शन में आएगी।

आईएएस सारांश मित्तर पर भारी बोझ

2010 बैच के आईएएस सारांश मित्तर पर भूपेश सरकार ने खूब भरोसा जताया है और उन्हें मंत्रालय में संयुक्त सचिव उद्योग के साथ दो निगम का प्रबंध संचालक व दो विभाग का संचालक बनाया है। सरकार के भरोसे पर कितने खरे उतारते हैं, यह समय बताएगा ? पांच जिम्मेदारियों का किस तरह निर्वहन करते हैं, यह भी देखना होगा ? डॉ. मित्तर को प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ रोड़ और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट कार्पोरेशन, प्रबंध संचालक सीएसआईडीसी के साथ संचालक नगरीय प्रशासन व विकास एवं संचालक उद्योग की जिम्मेदारी दी गई है। सीएसआईडीसी और उद्योग संचालनालय सीधे जनता से जुड़े महकमे हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)
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