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प्राचीन और आधुनिक ज्ञान प्रणालियों में निरंतरता बनी रहनी चाहिए-डॉ सप्रे

 

० भारतीय ज्ञान परम्परा पर विशेष व्याख्यान का आयोजन

रायपुर। भारतीय ज्ञान परम्परा केंद्र, पं. रविशंकर शुक्लविश्वविद्यालय ,अर्थशास्त्र अध्ययनशाला एवं समाजशास्त्र और समाजकार्य अध्ययनशाला के संयुक्त तत्वधान में 8 अक्टूबर 2024 को “भारतीय ज्ञान परम्पराःप्राचीन से आधुनिक युग तक”पर एक विशेष व्याख्यान काआयोजन किया गया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. सदानंद दामोदर सप्रे,राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल के सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने हड़प्पा सभ्यता से जुड़ी भारतीय ज्ञान परम्परा पर अपनी अंतर्दृष्टि डाली और इसे वर्तमान आधुनिक तकनीक से जोड़ा । प्रो. सप्रे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्राचीन और आधुनिक ज्ञान प्रणालियों के बीच निरंतरता बरकरार रहनी चाहिए।उन्होनें पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परम्परा को उचित ढंग से लागू करने का आग्रह किया।कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रोफेसर मीता झा, अधिष्ठाता सामाजिक विज्ञान संकाय ने भारतीय ज्ञान परम्परा केंद्रों के महत्व और केंद्र के माध्यम से प्रदान किए जाने वाले ज्ञान के बारे में बात की।

स्वागत भाषण भारतीय ज्ञान परम्परा केंद्र, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के समन्वयकऔर कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर रविंद्र के ब्रम्हे ने दिया।प्रोफेसर ब्रम्हे ने विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों में आई.के.एस. केंद्रों की स्थापना की पृष्ठभूमि और स्नातकऔर स्नातकोत्तर छात्रों के पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया।कार्यक्रम के सहसंयोजक प्रो. निस्टर कुजूर, प्रो. राजीव चौधरी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, प्रो. बी.एल.सोनेकर,डॉ. अर्चना सेठी, डॉ. प्रगति कृष्णन, डॉ. डेसेंट साहू,सुश्री प्रभासाहू, श्रीफलेंद्र कुमार सहित सामाजिक विज्ञान संकाय के विभिन्न विभागों के प्रोफेसर, शोधार्थीऔर छात्र उपस्थित थे। डॉ. जी.के. देशमुख, सह-प्राध्यापक, प्रबंधन संस्थान पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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