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कही-सुनी (10 NOV-24) : छत्तीसगढ़ का राजनीतिक भविष्य तय करेगा रायपुर दक्षिण

रवि भोई की कलम से

रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस में लड़ाई चरम पर नजर आ रही है। भाजपा पूरी ताकत झोंक रही है तो कांग्रेस के नेता भी मैदान में उतर गए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव भी कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में लग गए हैं, पर कांग्रेस के साथ समस्या यहां उसका जमीनी आधार न होना है। बृजमोहन अग्रवाल यहां से आठ बार लगातार विधायक रहे। बृजमोहन अग्रवाल ने भाजपा प्रत्याशी सुनील सोनी की जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। वे जनसंपर्क से लेकर लोगों से व्यक्तिगत संपर्क में जुटे हैं। सुनील सोनी जाने-पहचाने चेहरे हैं। एक बार सांसद और महापौर रह चुके हैं, वहीं उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने से भाजपा में बगावत जैसे स्थिति नहीं दिखाई पड़ रही है। दावेदार भी सुनील सोनी के पक्ष में प्रचार करते दिख रहे हैं। कांग्रेस जरूर सुनील सोनी पर सक्रिय न रहने का आरोप लगा रही है, पर कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा को लेकर कांग्रेस में एकजुटता नहीं दिखाई पड़ रही है। दावेदार अब भी आकाश शर्मा को स्वीकारने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं। फिर आकाश शर्मा रायपुर दक्षिण के लिए नए भी हैं। कांग्रेस को यहां मुस्लिम और ब्राम्हण वोटों पर भरोसा है, लेकिन निर्दलीय मुस्लिम प्रत्याशी कितना वोट काटते हैं, इस पर भी गणित निर्भर करेगा। रायपुर दक्षिण का चुनाव विष्णुदेव साय सरकार के लिए अग्नि परीक्षा जैसी है। यहां जीतकर सरकार अपनी ताकत दिखाना चाहती है। रायपुर दक्षिण का चुनाव परिणाम छत्तीसगढ़ के लिए आगे का राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा,क्योंकि अगले कुछ महीनों बाद नगरीय निकायों और पंचायतों के भी चुनाव होने हैं। रायपुर दक्षिण में जीत-हार के साथ लीड भी महत्वपूर्ण होगी।

नए डीजीपी के लिए कब शुरू होगी कवायद

माना जा रहा है कि डीजीपी अशोक जुनेजा को अब एक्सटेंशन नहीं मिलेगा,ऐसे में राज्य सरकार की तरफ से नए डीजीपी के लिए भारत सरकार को जल्द पैनल भेजा जाएगा या केंद्र सरकार की हरी झंडी का इंतजार किया जाएगा। इस मुद्दे पर प्रशासनिक गलियारे पर चर्चा शुरू हो गई है। डीजीपी अशोक जुनेजा को भारत सरकार ने अगस्त महीने में छह माह की सेवावृद्धि दी थी। वे फ़रवरी 25 तक रहेंगे। कहा जा रहा है कि डीजीपी के रिटायरमेंट के करीब तीन महीने पहले नए डीजीपी के लिए भारत सरकार को अफसरों के नामों का पैनल भेजने की परंपरा रही है, परंतु इसका पालन नहीं होता। कभी-कभी तो ऐन वक्त पर पैनल भेजा जाता है या फिर एक्टिंग डीजीपी नियुक्त कर बाद में प्रक्रिया पूरी की जाती है। छत्तीसगढ़ में दो बार एक्टिंग डीजीपी नियुक्त कर बाद में प्रक्रिया पूरी की गई। अभी डीजीपी की दौड़ में अरुण देव गौतम, पवनदेव और हिमांशु गुप्ता है। जनवरी 2025 में प्रदीप गुप्ता भी 30 साल की सेवा पूरी कर लेंगे और डीजी के लिए पात्र हो जाएंगे।

वित्त और लोक निर्माण विभाग में तालमेल की कमी

चर्चा है कि राज्य के लोक निर्माण विभाग और वित्त विभाग में तालमेल की कमी के चलते सड़कें संवर नहीं पा रही हैं। कहते हैं साय सरकार के साथ पिछली सरकार में स्वीकृत सड़कों के लिए टेंडर अटका पड़ा है। कहा जा रहा है कि नए सड़कों के लिए वित्त से मंजूरी लेने का काम लोक निर्माण विभाग का है, पर ऐसा नहीं हो पा रहा है। विष्णुदेव साय सरकार में लोकनिर्माण विभाग उपमुख्यमंत्री अरुण साव के पास है,जबकि वित्त मंत्री ओपी चौधरी हैं। जब अरुण साव प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे, तब ओपी चौधरी उनके महामंत्री थे। ओपी चौधरी 2005 बैच के आईएएस रहे हैं। अभी 2005 बैच के आईएएस मुकेश बंसल वित्त सचिव हैं, जबकि 2002 बैच के आईएएस कमलप्रीत सिंह लोक निर्माण विभाग के सचिव हैं।

मंत्री जी के अरमानों पर फिरा पानी

खबर है कि एक उद्योगपति छत्तीसगढ़ के एक सामान्य जिले में बड़ा उद्योग लगा रहे हैं, इसके लिए उन्हें सैकड़ों एकड़ जमीन की दरकार पड़ी। उद्योगपति ने एक व्यक्ति की करीब 30 एकड़ जमीन बाजार भाव में सौदा कर लिया। मंत्री जी को जब इसकी भनक लगी तो वे अधिक कीमत देने की वकालत करने लगे और उस व्यक्ति को जमीन नहीं बेचने की सलाह दी। ऊँचे भाव के ख्वाब में व्यक्ति का मन भी डोलने लगा। अब उघोगपति तो उद्योगपति ठहरा, उसे तो अपना नफा-नुकसान देखना था। उद्योगपति ने उस व्यक्ति की जमीन ही खरीदना कैंसल कर दिया। मंत्री जी को इस बात की जानकारी मिलने पर जमीन खरीदने के लिए उद्योगपति पर दबाव डलवाया। दबाव काम नहीं आया। और मंत्री जी के साथ ‘माया मिली न राम’वाली कहावत चरितार्थ हो गई।

बिरसा मुंडा कार्यक्रम में आनलाइन जुड़ेंगे मोदी

आदिवासियों के बड़े नेता बिरसा मुंडा की जयंती पर रायपुर में 15 नवंबर को सरकारी स्तर पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिलों में भी कार्यक्रम होंगे। बताते हैं इस कार्यक्रम में 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आनलाइन जुड़ेंगे। छत्तीसगढ़ में सरकारी स्तर पर बिरसा मुंडा को लेकर पहली बार बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। कांग्रेस के राज में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर 9 अगस्त को कार्यक्रम का रिवाज था। विष्णुदेव साय की सरकार ने 9 अगस्त को कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया था, उसके बदले बिरसा मुंडा की जयंती को चुना है। बिरसा मुंडा की जयंती पर रायपुर में कार्यक्रम को राजनीतिक दृष्टि से भी देखा जा रहा है। बिरसा मुंडा का जन्म झारखंड में हुआ था। झारखंड में अभी विधानसभा चुनाव चल रहा है। झारखंड छत्तीसगढ़ का पड़ोसी राज्य है। छत्तीसगढ़ के कई भाजपा नेता झारखंड में चुनाव प्रचार में भी लगे हैं। कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में कार्यक्रम से झारखंड के जनजातीय समाज के लिए संदेश भी होगा।

अब केदार भी नए रायपुर की तरफ

कहते हैं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और कृषि मंत्री रामविचार नेताम के बाद अब वन मंत्री केदार कश्यप भी नए रायपुर के बंगले में गृह प्रवेश करने वाले हैं। कहा जा रहा है कि केदार कश्यप 13 नवंबर को नए रायपुर के बंगले में जाएंगे। रामविचार नेताम नए रायपुर के बंगले में रहने लगे हैं, उन्होंने रायपुर में कोई सरकारी बंगला नहीं लिया था। मुख्यमंत्री श्री साय नए रायपुर के बंगले में पूजा-पाठ के बाद प्रवेश कर लिया है, लेकिन रायपुर में मुख्यमंत्री निवास अभी नहीं छोड़ा है। मंत्री केदार कश्यप ने भी रायपुर में बंगला लिया है। अब देखते हैं नए रायपुर के बंगले में गृह प्रवेश के बाद पुराना आशियाना छोड़ते हैं या नहीं। केदार कश्यप अभी जिस बंगले में रहते हैं, उस बंगले में रमन मंत्रिमडल में मंत्री रहते भी रहे हैं।

सवाल पुलिस की साख का

माना जा रहा है कि शुक्रवार को भिलाई में एक अपराधी के एनकाउंटर से पुलिस की साख में कुछ सुधार होगा। प्रदेश में लगातार अपराध और चाकूबाजी की घटनाओं के साथ कवर्धा, सूरजपुर और बलरामपुर की घटना ने राज्य में पुलिस की साख पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। कहा जा रहा है कि एनकाउंटर से अपराधियों में कुछ तो खौफ पैदा होगा। बढ़ते अपराध को कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बना लिया था। कांग्रेस ने सूरजपुर और बलरामपुर की घटना को लेकर सरकार को घेरा भी। कांग्रेस के हमले के खिलाफ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव को उतरना पड़ा। अब कहा जा रहा है कि विष्णुदेव साय की सरकार ने अपराधियों के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति अपना ली है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )

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