प्रदोष व्रत हर महीने आता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन पूजा अर्चना करने से व्यक्ति जो भी मनोकामना मांगता है वह पूरी होती है। हर महीने 2 बार प्रदोष व्रत आते हैं। मार्गशीर्ष मास आरंभ हो चुका है ऐसे में आइए जानते हैं मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा। साथ ही जानें मार्गशीर्ष मास में आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व।
मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत कब?
मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 28 नवंबर को सुबह 6 बजकर 24 मिनट पर होगा और 29 तारीख को सुबह 8 बजकर 40 मिनट तक त्रयोदशी तिथि रहेगी। उदया काल में और प्रदोष काल दोनों में ही त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को होने के कारण प्रदोष व्रत 28 नवंबर को ही रखा जाएगा। शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। आपके जीवन में कैसा भी कष्ट क्यों न हो आपको इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
प्रदोष व्रत के नियम
० प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठें। सूर्योदय से पहले स्नान करें और फिर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें।
० व्रत का संकल्प लेने के बाद पूजा स्थाल की अच्छा से साफ सफाई करें और भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। जल में कच्चा दूध, दही, शहद और गंगाजल मिलाकर अभिषेक करना है।
० इसके बाद शिव परिवार का पूजन करें और फिर भगवान शिव को बेलपत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें। साथ ही माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
० इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें और शिव चालीसा का पाठ करें। सबसे अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
० पूजा के पाठ भोजन बनाकर सबसे पहले गाय को खिलाएं। इसके बाद खुद भोजन करके अपना उपवास खोलें।