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Holika Dahan 2025 Timing: होलिका दहन के लिए बस कुछ ही घंटों का शुभ मुहूर्त, जानें भद्राकाल कब से कब तक

 



Holika Dahan 2025 Shubh Muhurat: होलिका दहन बुराई पर भक्ति की जीत का पर्व है। होलिका दहन हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है। इस बार होलिका 13 मार्च गुरुवार के दिन किया जाएगा। लेकिन, इस बार होलिका दह पर भद्रा का साया भी रहने वाला है। ऐसे में होलिका दन के लिए बहुत ही कम समय लोगों को मिलने वाला है। तो आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा।

होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को किया है जाता है। ऐसा शास्त्रीय विधान है। इसमे नियम है कि होलिका दहन के समय भद्रा का दोष नहीं होना चाहिए। धर्म सिंधु नामक ग्रंथ में बताया गया है कि सा प्रदोष व्यापिनी भद्रा रहित ग्राह्या। अर्थात प्रदोष काल में जिन दिन फाल्गुन पूर्णिमा हो उस दिन भद्रा का त्याग करके होलिका दहन करना चाहिए। साथ ही यह भी नियम है कि जब दो दिन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा हो और दूसरे दिन प्रदोष काल में भद्रा मुक्त पूर्णिमा तिथि हो तब दूसरे दिन होलिका दहन किया जाना चाहिए। लेकिन इस बार दो दिन पूर्णिमा तिथि तो है लेकिन दूसरे दिन प्रदोष कल लगने से पहले ही पूर्णिमा समाप्त हो जा रही है इसलिए होलिका दहन 13 तारीख को किया जाएगा क्योंकि इस दिन सुबह 10 बजकर 13 मिनट से पूर्णिमा तिथि लगेगी और प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा रहेगी। जबकि 14 मार्च को सुबह 12 बजकर 25 मिनट से पूर्णिमा समाप्त हो जाएगी।

होलिका दहन कब करना होता है शुभ
प्रदोष-व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भद्रा-रहित काल में होलिका दहन किया जाता है। यथा-‘सा प्रदोषव्यापिनी भद्रारहित ग्राह्या ।। (धर्मसिन्धुः)

यदि प्रदोष काल के समय भद्रा हो तो दूसरे दिन प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में होलिका-दहन करना चाहिए। यदि दूसरे दिन पूर्णिमा प्रदोष व्यापिनी न हो, तो पहले दिन भद्रा समाप्ति के बाद होलिका दहन करें। लेकिन यदि उस दिन (पहले दिन) भद्रा निशीत (अर्द्धरात्रि) के बाद या निशीत में समाप्त हो रही हो, तो भद्रा के मुखकाल को छोड़कर भद्राकाल में ही निशीत से पहले होलिका दहन कर लेना चाहिए, क्योंकि निशीत के अंतर होलिका दहन करना निषेध है।

 

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