राज्य में मराठी भाषा के चलन को बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लिया है। अब से राज्य की सभी दुकानों में नाम के बोर्ड मराठी भाषा में लगाने अनिवार्य होंगे। कैबिनेट की बैठक में यह तय हुआ कि अब हर दुकानदार को अपनी शॉप का नाम बड़े-बड़े मराठी अक्षरों में लिखा होगा। इससे पहले ज्यादातर बोर्ड हिन्दी, अंग्रेजी में होते थे और खानापूर्ति के लिए बोर्ड के एक हिस्से में इसे मराठी में लिखा जाता था।
मराठी में बोर्ड लगाने का फैसला 2017 यानी फडणवीस सरकार में ही ले लिया गया था, लेकिन व्यवहार में यह सही ढंग से लागू नहीं हो पा रहा था। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बुधवार को हुई कैबिनेट में इस आदेश को असरदार तरीके से लागू करने का फैसला किया गया है।
छोटे दुकानदारों को भी मराठी बोर्ड लगाने होंगे
अब तक ऐसे छोटे व्यवसायी जिनके यहां दस के कम संख्या में कर्मचारी काम कर रहे थे, उन्हें मराठी बोर्ड लगाने से छूट मिली हुई थी। लेकिन बुधवार की मीटिंग में छोटे दुकानदारों और व्यापारियों के लिए भी यह नियम सख्ती से लागू किया गया है। मीटिंग में साफ तौर से कहा गया है कि मराठी में नाम दूसरी भाषा (अंग्रेजी या अन्य) में लिखे नाम से छोटे अक्षरों में नहीं होने चाहिए। दुकानों का नाम देवनागरी लिपि में और मराठी भाषा में ही बड़े अक्षरों में लिखे जाएं।
स्कूल बसों का सालाना वाहन कर हुआ माफ
इसके अलावा कैबिनेट बैठक में एक और अहम फैसला किया गया। कोरोना के संकट को देखते हुए स्कूल बसों का सालाना वाहन कर पूरी तरह से माफ कर दिया गया।
मुंबई में 500 वर्ग फुट के घरों का संपत्ति टैक्स माफ
कैबिनेट ने बीएमसी क्षेत्र में 500 वर्ग फुट या उससे कम क्षेत्रफल वाले मकानों पर संपत्ति कर माफ करने की मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की मंजूरी के मुताबिक इस फैसले को 1 जनवरी 2022 से लागू किया जाएगा। इस निर्णय के अनुसार, मुंबई नगर निगम क्षेत्र में 16.14 लाख आवासीय संपत्तियों को इससे लाभ मिलेगा। इस रियायत से एनएमसी के कुल राजस्व में लगभग 417 करोड़ और राज्य सरकार के राजस्व में लगभग 45 करोड़ की कमी आएगी और कुल राजस्व में 462 करोड़ की कमी आएगी।
पुणे, नागपुर, अकोला मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों के पदों को भरा जाएगा
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस योजना के तहत, मौजूदा जनशक्ति को बढ़ाकर नागपुर, पुणे और अकोला के मेडिकल कॉलेजों में 9 शिक्षण पद सृजित करने का निर्णय लिया गया है। वी.जी. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, पुणे, इंदिरा गांधी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, नागपुर और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, अकोला में इन पदों पर सालाना 1.75,10,652/- (एक करोड़ पचहत्तर लाख दस हजार छह सौ पचास रुपये मात्र) खर्च किए जाएंगे।
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