आज पितृ पक्ष का अंतिम दिन है जिसे हम सर्वपितृ अमावस्या या पितृ विसर्जन के नाम से भी जानते हैं. आज ही के दिन पितृलोक से आए हुए पितरों को विदा किया जाता है. और आज के ही दिन उन सभी मृत लोगों का भी श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि मालुम नहीं होती है. या उन सभी लोगों का भी श्राद्ध किया जाता है कि जिन लोगों का श्राद्ध किसी समस्या की वजह से या भूलवश उनकी तिथि पर नहीं कर मिलता है.
ऐसा कहा जाता है कि आज पितृ अमावस्या के दिन ही पितर अपने पुत्र और परपोते को आशीर्वाद देते हुए अपने पितृलोक को वापस चले जाते हैं. वैसे भी हिन्दू धर्म में पितरों के लिए अमावस्या का काफी महत्व है. क्योंकि पूरे साल अमावस्या के दिन अगर ये 7 उपाय किए जाएं तो हमें मातृ और पितृ दोनों ऋण से मुक्ति भी मिल सकती है.
अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद गंगाजल मिले हुए जल को एक स्टील के लोटे में लेकर और उस जल में काला तिल डालकर 3 बार ‘ॐ सर्वपितृ देवाय नमः’ मंत्र का उच्चारण करते हुए दक्षिण की तरफ मुख करके तर्पण करना चाहिए.
अगर सोमवती अमावस्या, भौमवती अमवस्या, और शनैश्चरी अमावस्या को सुबह पूड़ी और खीर, आलू की सब्जी, बेसन के लड्डू, केला और दक्षिणा के साथ सफ़ेद वस्त्र किसी ब्राह्मण को दान करने से हमारे पितृ खुश होते हैं और हमें सभी दोषों से मुक्ति भी दिलाते हैं.
सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा आक के 21 पुष्पों, कच्ची लस्सी और बेलपत्र के साथ करने से भी पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
किसी गरीब कन्या की शादी में मदद करने से भी पितृ दोष में राहत मिलती है.
रवि वासरी अमावस्या के दिन तर्पण के साथ ही साथ ब्राह्मणों को भोजन कराने और दक्षिणा के साथ लाल वस्तुओं का दान करने से भी पितृ दोष की शांति में मदद मिलती है.
हर अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, गंगाजल, काला तिल, आदि, ‘ॐ पितृभ्यः नमः’ का 3 बार उच्चारण करते हुए चढ़ाने पर भी शांति मिलती है.
इसके अलावा सर्प पूजा, गोदान, पीपल और बरगद के पेड़ लगवाना, विष्णु मन्त्रों का जाप करने और श्रीमद्भागवद गीता का पाठ आदि करने से भी पितृदोष की शांति होती है.