सरकार ने स्मॉल सेविंग्स स्कीम की ब्याज दरों में लगातार तीसरी तिमाही में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की. इसकी दरें यथावत रखी गई हैं. उम्मीद थी की इन दरों में इजाफा हो सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लेकिन सरकार ने इसमें कटौती भी नहीं की. सरकार ने इस उम्मीद में ब्याज दरें नहीं घटाईं कि छोटी योजनाओं के निवेशक ज्यादा निवेश करेंगे और इसे सस्ता फंड मिलता रहेगा.
उम्मीद थी कोरोना संकट के दौर में सरकार छोटी बचत योजना में निवेश करने वालों को राहत देगी.ऐसा नहीं हुआ. फिलहाल पीपीएफ पर 7.1 फीसदी का ब्याज मिल रहा है. एनएससी पर 6.8 और पांच साल के सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम पर 7.4 फीसदी ब्याज मिल रहा है. सेविंग डिपोजिट पर सिर्फ 4 फीसदी और सुकन्या समृद्धि योजना पर 7.6 फीसदी. किसान विकास पत्र पर 6.9, एक से पांच साल के टर्म डिपोजिट पर 5.5 से 6.7 फीसदी और पांच साल के रेकरिंग डिपोजिट पर 5.8 फीसदी ब्याज मिल रहा है.
बैंकरों का मानना है कि छोटी बचत योजनाओं की इंटरेस्ट रेट फिक्स रखन के बजाय इसे रेपो रेट से जोड़ दिया जाए. वित्त मंत्री इसके लिए राजी है.
दरअसल छोटी बचत निवेश योजनाओं में निवेशक जो पैसा लगाते हैं वह नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड में क्रेडिट हो जाता है. यह सरकार के लिए सस्ते फंड का माध्यम है क्योंकि सरकार को अपनी आय और खर्चे में असंतुलन की वजह से बाजार से पैसा नहीं उठाना पड़ता है.
सरकार ने स्मॉल सेविंग्स स्कीम की ब्याज दरें बढ़ाई नहीं हैं तो कम भी नहीं की है. इसका मतलब है कि सरकार इस समय मार्केट से पैसा उठाने की हालत में नहीं है. वह सस्ता फंड हासिल करना चाहती है. सरकार को यह भी पता है कि कोरोना संक्रमण से पैदा आर्थिक दिक्कतों की वजह से लोग इन योजनाओं में जमा अपना पैसा निकालना चाहेंगे. इससे उसका फंड कम हो जाएगा.यही वजह है कि उसने इसकी ब्याज दरों में कटौती नहीं की है.