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इंटरनेशनल मार्केट में अनाज के दाम बढ़े और भारत में स्टॉक ज्यादा, निर्यात बढ़ा कर उठाया जा रहा है फायदा

कोरोना संक्रमण के दौरान दुनिया भर में अनाज संकट पैदा होने की आशंका जताई जा रही थी. यह आशंका अब गहराने लगी है. दुनिया के कई हिस्सों में अनाज और दूसरे खाद्य पदार्थों की पैदावार घटी है. इससे खाद्यान्न की कमी बढ़ी है और इनकी कीमतों में भी इजाफा हुआ है. लेकिन भारत को इस स्थिति का फायदा मिल रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं, चावल, चीनी और मक्का की मांग बढ़ी है. लिहाजा भारत के कमोडिटी निर्यात में इजाफा देखने को मिला है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम में इजाफा हुआ है. भारत में इसका उत्पादन बढ़ा है. चावल की भी कमी देखने को मिल रही है. जानकारों का कहना है कि छह साल बाद भारत के सामने चावल के अपने सरप्लस स्टॉक को खपाने का अच्छा मौका आया है. भारत से हाल के दिनों में चावल के निर्यात में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.

न्यूज एजेंसी आईएएनएस की एक खबर के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में जून 2020 के बाद गेहूं के भाव में 48 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. वहीं मक्के की कीमत में अप्रैल 2020 के बाद 91 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वैश्विक बाजार में मोटे चावल का भाव 110 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ा है. ग्लोबल मार्केट में गेहूं का भाव करीब सात साल की ऊंचाई पर चला गया है, जबकि मक्के के दाम करीब आठ साल की ऊंचाई पर हैं.

कमोडिटी मार्केट के एक्सपर्ट्स का मानना कि कोरोना काल में गेहूं, चावल, मक्का और चीनी जैसी कमोडिटी की मांग वर्ल्ड मार्केट में काफी ज्यादा बढ़ गई है लेकिन कुछ देशों की ओर से पर्याप्त सप्लाई नहीं हो पा रही है. अमेरिका और यूरोप के कई देश बड़े खाद्यान्न उत्पादक देशों में शामिल हैं. लेकिन वहां कोरोना का असर ज्यादा है. ऐसे में भारत और चीन जैसे देशों के सामने ग्लोबल कमोडिटी मार्केट में सप्लाई बढ़ा कर कमाई का अवसर बढ़ गया है.

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