रायपुर। विधानसभा में शीतकालीन सत्र में आज प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने जल जीवन मिशन के टेंडर में गड़बड़ी का मामला उठाया. भाजपा ने इसे सौ करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी बताते हुए इसे लोकधन की लूट करार दिया. इस पर सत्तापक्ष के जवाब से असंतुष्ट होकर बीजेपी विधायकों ने वॉक आउट किया. प्रश्नकाल शुरुआत में विपक्ष के विधायक डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी ने जल जीवन मिशन के टेंडर में गड़बड़ी का मामला उठाया. उन्होंने पूछा कि बिलासपुर जिले में 15 जुलाई 2022 से 07 दिसम्बर, 2022 तक जल जीवन मिशन के तहत कितने टेंडर निकले और कितने टेंडरों के लिए रिटेंडर या संशोधित किया गया? संशोधित टेंडर के लिए कितनी समय-सीमा निर्धारित की गई थी, ऑनलाइन-ऑफलाइन रिटेंडर के लिए क्या समय सीमा निर्धारित तौर पर अगर विभाग द्वारा नियमों के विरुद्ध टेंडर किये गए तो उस पर क्या क्या कार्यवाही हुई? इन टेंडरों के सम्बन्ध में जिला प्रशासन को कितनी शिकायतें प्राप्त हुई और उन पर क्या कार्यवाही की गई ?
पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने जवाब में बताया कि बिलासपुर जिले में 15 जुलाई 2022 से दिनांक 07 दिसम्बर, 2022 तक जल जीवन मिशन के तहत कुल 201 टेंडर निकाले गए, इनमें से 80 टेंडर- रिटेंडर तथा 15 टैंडरों के समय- सीमा में संशोधन किया गया. संशोधित एवं रिटेंडर के लिये निर्धारित समय सीमा, निविदाकार की जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र अनुसार है. उन्होंने कहा कि कोई भी निविदा ऑफ-लाइन रिटेंडर नहीं की गई है. इसके साथ ही विभाग द्वारा नियम के विरूद्ध टेंडर नहीं किए जाने की बात कहते हुए मंत्री ने बताया कि इन टेंडरों के संबंध में जिला प्रशासन को 3 शिकायतें प्राप्त हुई थी, जिनका निराकरण कर, प्रतिवेदन जिला प्रशासन को प्रेषित कर दिया गया है.
बांधी ने कहा कि टेंडर रद्द होने के बाद नये टेंडर को अधिक दर पर खोला गया, इससे शासन को हानि हुई. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह गंभीर मामला है. 200 टेंडर में से 80 टेंडर रद्द करनी पड़े. ये सही नहीं है. इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. उन्होंने कहा कि एक जुलाई से जब नया एसओआर आया तब 15 जुलाई को टेंडर रद्द क्यों किया गया. नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि जल जीवन मिशन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. ये सौ करोड़ से ज्यादा की लूट है. ये लोकधन की लूट है. तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों में ये प्रोजेक्ट पूरा हो गया है. सितंबर 2023 तक इस मिशन का काम ख़त्म करना है. इस पर सत्तापक्ष के जवाब से असंतुष्ट होकर बीजेपी विधायकों ने वॉक आउट किया.