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श्रीमद्भागवत कथा में छठवें दिन हुआ कृष्ण और रुक्मणी विवाह प्रसंग

० भाव विभोर हुए श्रद्धालु, भगवान श्रीकृष्ण के लगाए जयकारे

बसना। श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन पंडित हिमांशु कृष्ण भारद्वाज महाराज ने गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग, महारास लीला, रासलीला में भगवान शंकर का आना एवं श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग का सुंदर वर्णन किया। इस अवसर पंडित हिमांशु कृष्ण भारद्वाज महाराज ने रास पंच अध्याय का वर्णन करते हुए कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय कथा का श्रवण कराया गया।
कथावाचक पंडित हिमांशु कृष्ण भारद्वाज महाराज ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ।भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। रुक्मणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान कथा मंडप में विवाह का प्रसंग आते ही चारों तरफ से श्रीकृष्ण-रुक्मणी पर जमकर फूलों की बरसात हुई।

कथावाचक पंडित हिमांशु ने श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है। इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है, तो वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे,


श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन सुनाया गया श्रीकृष्ण रासलीला का प्रसंग

श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन की कथा प्रारंभ करते हुए कथा वाचक पंडित हिमांशु कृष्ण महाराज ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामथ्र्य के साथ आक्रमण किया लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया उसे ही परास्त होना पडा। रासलीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। गोपी गीत पर बोलते हुए कथा व्यास ने कहा जब-जब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाते हैं। जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ। पंडित हिमांशु कृष्ण महाराज ने भगवान शंकर का रासलीला में शामिल होने का विस्तार से वर्णन किया,

श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन महाराज ने सुनाया कृष्ण- सुदामा प्रसंग

श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन बुलंदशहर के पंडित हिमांशु कृष्ण भारद्वाज महाराज ने कहा कि भगवान भक्त का धन, संपत्ति नहीं देखते हैं, वे केवल उसका निस्वार्थ भाव देखते है। इसे देखकर ही आशीर्वाद देते हैं। कथा के अंतिम दिन उन्होंने कृष्ण- सुदामा प्रसंग का वर्णन किया। सुदामा भगवान के भक्त बने। गरीबी होने के बाद भी सुदामा ने भगवान से कभी कुछ नहीं मांगा। यथाशक्ति निस्वार्थ भाव से कृष्ण की भक्ति की। भगवान इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने सुदामा को अपना मित्र बना लिया।

कथा स्थल तक लोगों को लाने हेतु निःशुल्क ई रिक्शा की व्यवस्था की गई है जिसमें कथा में आने वाले प्रमुख रूप से निशक्त जनों के साथ ही नगर वासियों तथा कथा हेतु बनाई गई पार्किंग स्थल से लाने हेतू प्रयोग किया जा रहा है। बता दें कि 16 जनवरी से 24 जनवरी तक चलने वाली श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान सप्ताह में बसना क्षेत्र एवं दूर-दूर के गांव से आने वाले श्रद्धालुओं से जहां विशालकाय पंडाल पूर्ण रूप से भर जाता है वहीं दूसरी ओर बसना के पदमपुर रोड में भी जाम की स्थिति 3:00 से 9:00 तक पूर्ण रूप से बनी रहती है पूरा बसना भक्ति माहौल में रमा हुआ सा दिखाई देता है। इसके साथ ही कथा स्थल में स्वास्थ्य सुविधाओं को भी ध्यान में रखते हुए मेडिकल कैंप एवं एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है।

 

कार्यक्रम के संयोजक डॉ संपत अग्रवाल ने किया जनप्रतिनिधियों तथा समाज सेवियों का सम्मान

देवेन्द्र नायक डायरेक्टर बालाजी हस्पिटल,श्रीमती जसवंत कौर प्रदेश मंत्री अल्पसंख्यक मोर्चा छत्तीसगढ़ भाजपा,मनिंदर सिंह,अंशु रायपुर,हरपाल सिंह गिल ,आलोक अग्रवाल वही सिख समाज पिथौरा से अरविंदर सिंह छाबड़ा मंटू, सिंदर सिंह नारंग, कुलदीप सिंह सलूजा,जगजीत सिंह माटा, कमलजीत सिंह खनूजा, राजेंद्र खनूजा, रविंद्रर अजमानी, शरतपाल सिंह, रिंकू खनूजा,राजा खनूजा, रजिंदर खनूजा संरक्षक नीलांचल सेवा समिति, स्वामी राजीवलोचन महाराज चित्रकोट, स्वप्निल तिवारी जिला अध्यक्ष श्रमजीवी पत्रकार संघ, आलोक त्रिपाठी भाजपा, सुमित अग्रवाल आदि मुख्य रूप से उपास्थित रहे।

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