अयोध्या। अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जहां इस समय हजारों-लाखों की संख्या में लोग प्रभु श्रीराम के दर्शन करने आ रहे हैं वहीं उस मंदिर को लेकर वैज्ञानिकों ने एक बड़ा खुलासा किया है। रूड़की स्थित CSIR के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR-CBRI) के वैज्ञानिकों ने श्रीराम मंदिर की इमारत की तीव्र भूकंपों को संभालने की क्षमता को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। इसके अनुसार, मंदिर ऐसे तीव्र भूकंपों को भी संभाल सकता है जो 2500 साल में एक बार ही आते हैं।
CSIR-CBRI के सीनियर साइंटिस्ट देबदत्त घोष ने बताया कि इस खोज के लिए मंदिर की इमारत, परिसर, जियोफिजिकल कैरेक्टराइजेशन, जियोटेक्निकल एनालिसिस, फाउंडेशन डिजाइन, और 3D स्ट्रक्चर की स्टडी की गई है। देबदत्त के साथ मनोजित सामंता भी इस स्टडी में शामिल हैं। दोनों सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर कंजरवेशन ऑफ हेरिटेज स्ट्रक्चर्स के कॉर्डिनेटर्स हैं। इन दोनों ने उस टीम का नेतृत्व किया है, जिसने श्रीराम मंदिर परिसर का 3D स्ट्रक्चरल एनालिसिस किया है।
भूकंपीय तरंगों की जांच की गई
दोनों ने मंदिर के डिजाइन की बारीकी से स्टडी की है। इन्हें गाइड कर रहे हैं CSIR-CBRI के डायरेक्टर प्रदीप कुमार रमनचारला और पूर्व डायरेक्टर एन. गोपालकृष्णनन, डॉ. देबदत्त ने बताया कि जब हम जियोफिजिकल कैरेक्टराइजेशन करते हैं, तब हम जमीन के अंदर की तरंगों का मल्टी-चैनल एनालिसिस करते हैं. जिसे MASW कहते हैं। यह तकनीक जमीन के अंदर तरंगों की गति, इलेक्ट्रिकल रेसिसटेंस, एनोमलीज, भूजल की स्थिति और पानी के सैचुरेशन जोन्स की स्टडी करता है। भूकंप की तीव्रता के अनुसार इमारत की मजबूती और बचने की क्षमता की जांच इन्हीं तरीकों से की जाती है। इसके लिए सीस्मिक डिजाइन पैरामीटर्स का ख्याल भी रखा जाता है।
मिट्टी और नींव की क्षमता का परीक्षण
सिर्फ इतना ही नहीं, CSIR-CBRI के वैज्ञानिकों ने मिट्टी की भी जांच की है। इसके साथ ही नींव के डिजाइन पैरामीटर्स की भी जांच की है। इसके अलावा मंदिर बनाते वक्त खुदाई कैसे की गई है, उसकी जांच भी हुई। नींव बनाते समय जिन नियमों को मानने को कहा गया था, उसे माना गया या नहीं इसकी भी जांच की गई। साथ ही इमारत के स्ट्रक्चर की भी जांच की गई। डॉ. देबदत्त घोष ने बताया कि मंदिर भूकंपीय तरंगों, भूजल की स्थिति, मिट्टी, और नींव की क्षमता की जांच करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया गया है। उन्होंने बताया कि मंदिर का डिजाइन और इंजीनियरिंग क्वालिटी की जांच के लिए 50 से अधिक कंप्यूटर मॉडल्स का उपयोग किया गया है।
जो पत्थर लगाया गया क्या वो बेस्ट है?
श्रीराम मंदिर का सुपरस्ट्रक्चर बांसी पहाड़पुर के सैंडस्टोन से बना है और इसकी इंजीनियरिंग क्वालिटी की जांच में यह साबित हुआ है कि यह 1000 साल तक सही-सलामत रह सकता है। इस मंदिर में इस्तेमाल हुए पत्थर 20 मेगा पास्कल की दर से 1315.41 किलोग्राम वजन सहने की क्षमता रखते हैं। इस अनुसंधान से पता चला है कि श्रीराम मंदिर तीव्र भूकंपों के खिलाफ एक स्ट्रक्चरली विशेषज्ञ है और इसे बनाए गए सारे पैरामीटर्स के आधार पर सुरक्षित माना जा सकता है।