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आज का इतिहास 3 फरवरी : प्रिंटिंग मशीन के आविष्कारक योहानेस गटेनबर्ग की आज पुण्यतिथि है

प्रिंटिंग मशीन का आविष्कार करने वाले योहानेस गटेनबर्ग की आज पुण्यतिथि है। पंद्रहवीं सदी में जर्मनी के योहानेस गटेनबर्ग ने दुनिया का पहला छापाखाना लगाने के साथ ही हाथ से पुस्तकों की लिखाई और लकड़ी के गुटकों से प्रिंटिंग के अंत की नींव रखी।



गटेनबर्ग ने ही 1439 में प्रिंटिंग मशीन का आविष्कार किया था। ये एक मूवेबल टाइप प्रिंटिंग मशीन थी। 1456 में जर्मनी के माइंस शहर में गटेनबर्ग की प्रिंटिंग प्रेस से बाइबिल की पहली प्रति छप कर निकली। इसे बी42 या 42 लाइनों वाली बाइबिल भी कहते हैं। यहीं से गटेनबर्ग क्रांति की शुरुआत होती है। गटेनबर्ग ने बाइबिल की 300 प्रतियां प्रकाशित कर फ्रांस भेजीं। गटेनबर्ग के चलते बाइबिल की पहुंच घर-घर में हो गई। इससे पहले बाइबिल बहुत कम थी। इसे हाथ से लिखने में पादरी को एक साल का समय लगता था।

गटेनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस में छापी पहली बाइबिल 30 फ्लोरिन (उस समय की जर्मन मुद्रा) में बेची थी। ये उस समय हाथ से लिखी बाइबिल से सस्ती थी। आज भी 21 से ज्यादा गटेनबर्ग बाइबिल मौजूद हैं। आज इनकी वैल्यू 30 मिलियन डॉलर से अधिक है। आज ही के दिन 3 फरवरी 1468 को उनका निधन हो गया था।

छपाई में लकड़ी की जगह मेटल ब्लॉक का इस्तेमाल होता था
जर्मनी के मेंज शहर में 1398 में जन्मे गटेनबर्ग की प्रिंटिंग मशीन की खास बात ये थी कि इससे छपाई में लकड़ी की जगह मेटल ब्लॉक का इस्तेमाल होता था। इस मशीन के ईजाद होने से किसी भी तरह के पेपर पर छपाई करना आसान हो गया था। ये प्रिंटिंग मशीन रोजाना 1 हजार से ज्यादा पेज की छपाई कर सकती थी। इसके पहले छपाई की जो तकनीक थी, उससे दिनभर में सिर्फ 40 से 50 पेज ही प्रिंट हो पाते थे।

आविष्कार के बाद शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आ गई थी
इस प्रिंटिंग मशीन के आविष्कार के बाद शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आ गई थी। बुक्स की छपाई होने लगी। लोगों के बीच किताबों की मांग बढ़ने लगी। इसकी वजह यूरोप का मिडिल क्लास भी था, जो किताबें पढ़ने लगा था। गटेनबर्ग की प्रिंटिंग मशीन में सबसे पहले जर्मन भाषा में एक कविता छापी गई थी। इसके अलावा लैटिन ग्रामर की किताब की छपाई भी की गई।

1954 में कुंभ मेले में मची भगदड़ में 800 श्रद्धालु मारे गए थे
आज से 67 साल पहले प्रयागराज स्थित संगम के तट पर कुंभ मेले का आयोजन हुआ था। आजादी के बाद ये पहला कुंभ था, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए थे। 1954 के कुंभ मेले में मची भगदड़ में सैकड़ों लोग मारे गए थे।

इस हादसे के पीछे कई वजह बताई जाती हैं। पहली, कुंभ मेले का एरिया काफी छोटा था। लोगों के स्नान के लिए घाट भी बहुत कम थे। भीड़ अधिक जमा होने की वजह से ये भगदड़ मची थी। इसके अलावा कहा जाता है कि कुंभ मेले में हाथी भड़क गया था, जिस वजह से भगदड़ मच गई थी। इस घटना के बाद से ही कुंभ के मेले में हाथियों को बैन कर दिया गया।

भारत और दुनिया में 3 फरवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं :
2018: आज ही के दिन भारत की अंडर-19 टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर चौथी बार वर्ल्ड कप जीता था।

1972: जापान के सप्पारों में एशिया का पहला शीतकालीन ओलिंपिक आयोजित किया गया।

1964: भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर रघुराम राजन का जन्म हुआ था।

1938: भारत की मशहूर अभिनेत्री वहीदा रहमान का जन्म हुआ था।

1934: हवाई जहाज से पहली बार पार्सल भेजना शुरू हुआ। इस कंपनी का नाम लुफ्थांसा है।

1815: पनीर उत्पादन का पहला कारखाना स्विट्जरलैंड में खोला गया।

 

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