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सरपंच बनने की थी ख्वाहिश, नही बन सके …..फिर बने विधायक और सांसद

० लोकसभा निर्वाचन 2014 में 10 हमनाम प्रत्याशियों से घिरे महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद चंदूलाल साहू
० शुरुआत में पंच चुने गये थे , रेलवे पुलिस की नौकरी छोड़ी, टैक्सी चलवाई, वकालत भी की

गरियाबंद । आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर महासमुन्द लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशियों की संभावित प्राथमिक सूचि में इसी क्षेत्र के पूर्व सांसद चंदूलाल साहू का नाम इस समय अग्रिम पंक्ति में है। वैसे हमारा दावा नहीं है कि उन्हें ही इस क्षेत्र से पुनः मौका दिया जायेगा और ना ही चंदूलाल साहू जी कोई दावेदारी कर रहे हैं बल्कि उन्होंने कहा कि वे पार्टी आदेश का ही पालन करेंगे, वैसे उन्हें 100 प्रतिशत उम्मीद है कि उन्हें एक और मौका दिया जायेगा। क्षेत्रीय जनता का बहुसंख्यक भाग भी इस समय चंदूलाल साहू की ओर ही टक -टकी लगाये हुये है। चंदूलाल साहू के अनुसार पार्टी का अपना सर्वे होता है, साफ सुथरी छबि और पार्टी सिद्धान्तों पर खरे उतरने वाले व्यक्ति को ही टिकिट दिया जाता है। जीत की संभावना भी मायने रखती है।

वर्तमान में चंदूलाल साहू भारतीय जनता पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है। बकौल चंदूलाल साहू, उन्होंने सरपंच बनने की ख्वाहिश में ग्राम पंचायत पंच का चुनाव लड़ा था, किन्तु उनके अन्य साथी चुनाव हार गये जिससे उन्हें पर्याप्त समर्थन नही मिल पाया और वो सरपंच पद से वंचित रह गये।

राजिम के निकट ग्राम टेका निवासी चंदूलाल साहू कृषक परिवार से है। कबड्डी व व्हालीबाल खिलाड़ी रहे, सो ग्रेजुएशन के बाद 1984 में वें रेल्वे पुलिस में भर्ती हो गये, किन्तु स्वभाव पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली से मेल नहीं खाता था, इसीलिये नौकरी छोड़ दी और वकालत की पढ़ाई करने लगे।

राजनैतिक जीवन की शुरुवात

अटल बिहारी वाजपेयी तथा दीनदयाल उपाध्याय से प्रेरित चंदूलाल साहू ने 1991 में बीजेपी ज्वाईन कर ली। 1993 में राजिम विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के तत्कालीन प्रत्याशी अशोक बजाज के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सम्हाली, 1996 में भाजपा युवा मोर्चा के मंडल महामंत्री नियुक्त किये गये, इसी वर्ष कोऑपरेटिव बैंक कोपरा का चुनाव भी लड़ा, 1998 में भाजपा मंडल कोषाध्यक्ष नियुक्त किये गये,साथ ही वकालत की प्रेक्टीश भी जारी रही,1999 में कृषक उपज मंडी समिति का चुनाव लड़ा और कृषक सदस्य निर्वाचित हुये। एक समय की राजिम विधानसभा की बीजेपी प्रत्याशी नीना सिंह के चुनाव प्रचारक भी रहे,तब तक वे प्रखर प्रवक्ता के रूप पहचान बना चुके थे। हालांकि नीना सिंह चुनाव हार गई थी।

ऐसे बने विधायक

वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा उन्हें राजिम विधानसभा प्रत्याशी घोषित किया गया। तब उन्हें कमजोर प्रत्याशी के माना गया , किन्तु साहू बाहुल्य मतदाता, प्रखर वक्ता की छबि और किस्मत ने उनका साथ दिया। कांग्रेस के अमितेश शुक्ला को 12 हजार वोटों से हराकर उन्होंने राजिम विधानसभा में शुक्ल परिवार के पारंपरिक गढ़ को ध्वस्त कर दिया।

2008 में नही मिली टिकिट

2008 के विधानसभा चुनाव में राजिम विधानसभा से चंदूलाल साहू की टिकिट काट दी गई, किन्तु उन्होंने पार्टी के निर्णय का कोई विरोध नही किया, जिसका प्रतिफल ये हुआ कि अगले वर्ष के लोकसभा चुनाव में उन्हें महासमुन्द लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया, उनके अपोजिट साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष मोतीलाल साहू को कांग्रेस ने अपना प्रतयाशी बनाया , मोतीलाल साहू को हार का सामना करना पड़ा, 2014 के लोकसभा चुनावों में महासमुन्द सीट राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुई, तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी व कांग्रेस के कद्दावर नेता अजित जोगी व उनके समर्थकों ने 10 चंदूलाल नामक प्रत्याशियों को मैदान में उतारकर ,बीजेपी के चंदूलाल साहू के विरुद्ध राजनैतिक चक्रव्यूह की रचना की, इसके बाद भी चंदूलाल साहू लगभग 1200 वोटों से चुनाव जीत गये थे।

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