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गांव में लगी राइस मिल से परेशान बोरसी के ग्रामीण, भटक रहे एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी के पास, जनदर्शन में की शिकायत

गरियाबंद। जिले के फिंगेश्वर ब्लॉक के गांव बोरसी के ग्रामीण ,गांव में लगी राइस मिल को लेकर बेहद परेशान हैं। ग्रामीण हुमन साहू कैलाश निषाद बलराम साहू लोकनाथ साहू भारत लाल आदि के अनुसार, ग्रामीणों को जानकारी दिये बिना, साथ ही ग्राम सभा में चर्चा किये बगैर ग्राम पंचायत द्वारा हिन्द फ़ूड इंडस्ट्रीज को एनओसी जारी कर दिया गया। ग्राम बोरसी की भूमि खसरा नंबर 228 /3 , 228/4 , 227, 224 पर जब से प्लांट लगना शुरू हुआ तब से ग्रामीण इसका विरोध करते आ रहे हैं। ग्रामीण, तहसीलदार ,एसडीएम ,थाना प्रभारी ,कलेक्टर ,विधायक, सांसद तक इस राइस मिल को हटाने की फरियाद कर चुके हैं। किंतु अब तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नही की गई है ,बल्कि वहां उत्पादन शुरू हो चुका है बताया जा है कि उक्त राइस मिल में स्टीम बायलर भी लगाया गया है जिससे ग्रामीण अब प्रदूषण को लेकर परेशान और चिंतित हैं।

इस मामले में आज बड़ी संख्या में ग्रामीणों के द्वारा कलेक्टर जनदर्शन में भी फरियाद लगाई गई है। ग्रामीणों का कहना है कि उक्त राइस मिल की स्थापना अवैधानिक एनओसी लेकर की गई है, इसीलिये ग्राम सभा का आयोजन कर उक्त राइस मिल की एनओसी निरस्त की जाये। मजे की बात ये सामने आ रही कि जिस महिला सरपंच के रहते एनओसी जारी किया गया, आज जिलाधीश को प्रस्तुत आवेदन में उसी सरपंच तारिणी सिन्हा के हस्ताक्षर है, यानि पहले समर्थन और अब विरोध किया जा रहा है।

क्या है नियम
राइस मिल स्थापना के पूर्व पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से एनओसी लेना होता है। राइस मिल में ई.टी.पी. प्लांट लगाना आवश्यक होता है जिसकी लागत लगभग 15 से 40 लाख तक होती है। एक सेक्शन मशीन भी लगाई जाती है जिससे पॉल्यूशन कंट्रोल हो सके। आपको बता दें कि राइस मिल में लगने वाली चिमनी का मापदंड भी तय होता है, किन्तु अक्सर देखने में आता है कि कुछ भ्रष्ट अधिकारियों से मिलीभगत कर बिना मापदंडो को पूरा किये एनओसी जारी कर दी जाती है।

नगरों शहरों का भी बुरा हाल

वर्तमान में गरियाबंद जिले में धड़ल्ले से राइस मिलें लगाई जा रही है। इस समय जिले धनिक व्यापारी वर्ग का प्रथम पसंदीदा उद्योग व्यापार यही हो गया है। सूत्रों के अनुसार अधिकारियों की भी चांदी हो रखी है, सो दोनों हाथों से तालियां जोर जोर से बज रही है। अब इन तालियों के शोर में कौन भला ग्रामीणों की सुनता है और किसे प्रदूषण की पड़ी है। गांव की छोड़िये गरियाबंद नगर के अंदर भी नियमों को दरकिनार कर राइस मिलें संचालित है। नगर के एक मोहल्ले के लोगों का विरोध पिछले एक दशक चला आ रहा है।

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