मुश्किल में फंसी सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया का घाटा काफी बढ़ गया है. वित्त वर्ष 2020-21 में एयर इंडिया का घाटा लगभग 10 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इंडियन एयरलाइंस के साथ इसके विलय के बाद घाटे में और तेजी आई. कोरोना संक्रमण की वजह से दुनिया भर की एयरलाइंस कंपनियों को घाटा हुआ है लेकिन एयरइंडिया का घाटा बहुत ज्यादा बढ़ गया है. सरकार की ओर इसे बेचने की कोशिश में कामयाब होती नहीं दिख रही है.
एयर इंडिया के घाटे के बारे में जानकारी रखने वाले विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक एयरलाइंस को 8000 करोड़ रुपये का कैश घाटा हुआ है. बाकी का घाटा डेप्रिसएशन लागत के मद में है. इस घाटे से एयरलाइंस के वैल्यूएशन और कम हो जाएगी. इससे इसे बेचने पर सरकार को और कम रकम मिलेगी. एयर इंडिया को वित्त वर्ष 2019-20 में भी 8000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. वित्त वर्ष 2018-19 में एयरलाइंस को 8500 करोड़ से कम घाटा हुआ था. वित्त वर्ष 2017-18 में एयर इंडिया का घाटा 5300 करोड़ रुपये का था.
एयरलाइंस पिछले कुछ साल से अपने घाटे को पूरा करने के लिए कर्ज ले रही है. अपनी परिचालन लागतों को पूरा करने के लिए एयरलाइंस नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड यानी NSSF से 5 हजार करोड़ रुपये कर्ज उठाने का फैसला किया है. तीन बैंकों से एयर इंडिया 10 हजार करोड़ रुपये जुटाएगी. एनएसएसएफ से चार हजार करोड़ रुपये मिल गए हैं और बाकी 1 हजार करोड़ रुपये भी जल्द मिल जाएंगे. एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचने की सरकार की कोशिश जारी है. ऐसी खबरें हैं कि टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइंस के साथ मिल कर इसकी हिस्सेदारी के लिए बोली लगा सकती है.