नई दिल्ली: भारत सरकार अब वर्क फ्रॉम होम को औपचारिक रूप देने जा रही है. इस वजह से उम्मीद की जा रही है कि सर्विस सेक्टर में महिलाओं के लिए जॉब के ज्यादा मौके बनेंगे. सरकार का फोकस खास तौर पर छोटे शहरों में आने वाले दिनों में महिलाओं के लिए रोजगार के अधिक मौके पैदा करना है.
देश के छोटे शहरों में महिलाओं को जॉब उपलब्ध कराने में वर्क फ्रॉम होम बहुत मददगार साबित हो सकता है. इसके साथ ही वैसे रिटायर्ड कर्मचारी जो पार्ट टाइम बेसिस पर काम करना चाहते हैं उनके लिए भी यह बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है. एओन इंडिया में एचआर कंसल्टिंग के प्रैक्टिस लीडर (रिटायरमेंट बेनिफिट) विशाल ग्रोवर ने कहा, ‘सरकार की इस योजना से देश के छोटे और मझोले शहरों में महिलाओं को वर्क फोर्स में शामिल करने में काफी मदद मिल सकती है.’
टेक महिंद्रा, कैपजेमिनी और केविन केयर जैसी कंपनियां पहले ही इस तरह के प्रयास शुरू कर चुकी हैं. भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के ड्राफ्ट मॉडल स्टैंडिंग ऑर्डर से यह समझ में आता है. सर्विस सेक्टर के लिए यह प्रस्ताव किया गया है कि कंपनियों को स्थाई रूप से वर्क फ्रॉम होम की इजाजत दी जा सकती है. बहुत-सी आईटी कंपनियां इस नियम के बाद महिलाओं को नियुक्त कर सकती हैं.
कोरोना महामारी के संकट की वजह से छोटे और मझोले शहरों में कम से कम 50 फीसदी महिलाओं की जॉब चली गई है. हाल में ही सिएल एचआर सर्विस के एक सर्वे में यह जानकारी सामने आई है. सिएल सर्विस एक स्टाफिंग और रिक्रूटमेंट फर्म है. इसने सर्वे करने के लिए देश भर की 1000 से अधिक कंपनियों से बातचीत की थी. इनमें से बहुत सी महिलाएं हालांकि अब काम पर लौट चुकी हैं.
सिएल सर्विसेज के संस्थापक आदित्य मिश्रा ने कहा, ‘चालू तिमाही में भारत में आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने की तरफ बढ़ रही हैं और काम छोड़ चुकी महिलाओं में से 90 फीसदी में अब आत्मविश्वास लौट रहा है और उन्हें नौकरी मिल रही है.’ कंपनी का अनुमान है कि देश के बड़े शहरों से अलग करीब सात करोड़ कामकाजी महिलाएं वर्क फोर्स में शामिल हो सकती हैं.