प्याज के दाम अभी भी 50 से 60 रुपये के स्तर पर बरकरार हैं. दरअसल देश के सबसे बडे़ प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में दिसंबर, जनवरी में बेमौसम बारिश और पेट्रोल-डीजल के दाम में लगातार बढ़ोतरी ने सप्लाई के मोर्चे पर दिक्कतें खड़ी कर दी है. इस वजह से प्याज की नई फसल की सप्लाई घट गई है और दाम ऊंचे स्तर पर बरकरार हैं.
देश की सबसे बड़ी थोक प्याज मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज का थोक रेट पिछले दस दिनों में 20 फीसदी तक बढ़ गया है. दक्षिण भारत के बाजारों से भी प्याज की सप्लाई में गिरावट आई है. गुजरात, मध्य प्रदेश से सप्लाई भी ज्यादा नहीं आ रही है. इसके साथ केंद्र ने जनवरी में प्याज के एक्सपोर्ट को मंजूरी दे दी थी. इस वजह से इनकी कीमतें 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गईं हैं. अब मार्च में प्याज की नई खेप के बाद कीमतें नीचे आ सकती हैं. केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक पिछले एक महीने में दिल्ली में प्याज के दाम में दिल्ली में 19 रुपये, मुंबई में 20 रुपये और कोलकाता, नागपुर में 15-15रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हो चुकी है.
दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 के दौरान हुई बेमौसम बारिश से महाराष्ट्र में किसानों की प्याज की फसल बर्बाद हो गई. इससे सप्लाई पर काफी असर पड़ा है. सप्लाई की कमी प्याज की कीमत बढ़ा रही है. देश की मंडियों में प्याज की सप्लाई करीब 40 फीसदी तक कम हो गई है. इस वजह से प्याज महंगा हो गया है. इसके अलावा प्याज एक्सपोर्ट को मंजूर मिलने से निर्यात बढ़ा है. इसने घरेलू मार्केट में प्याज की सप्लाई कम कर दी है. प्याज महंगा होने की दूसरी बड़ी वजह डीजल की कीमतों का लगातार बढ़ना भी है. इससे प्याज की ढुलाई महंगी हो गई है.