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कही-सुनी(19 FEB 2023): छत्तीसगढ़ कांग्रेस में कलह

रवि भोई की कलम से

रायपुर में आयोजित कांग्रेस के 85 वें महाधिवेशन से पहले प्रदेश इकाई का कलह सड़क पर आ गया। कांग्रेस के एक गुट ने कटआउट और बैनर -पोस्टर से प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को गायब कर दिया। कहते हैं प्रभारी महासचिव सैलजा की फटकार के बाद बैनर-पोस्टर में मोहन मरकाम का फोटो चस्पा किया गया, वह साफ़ नजर आ रहा है। लोग इस बात की चर्चा भी कर रहे हैं। रायपुर में कांग्रेस का महाधिवेशन 24 से 26 फ़रवरी तक आयोजित है। महाधिवेशन की तैयारियों के बीच प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन महामंत्री अमरजीत चावला ने सभी समितियों से अपने को अलग करने का फैसला कर लिया। कहते हैं अनुशासनहीनता के मामले में एआईसीसी की नोटिस से खफा अमरजीत चावला ने यह कदम उठाया है। स्वागत समेत अन्य समितियों में कई लोगों के नाम छोड़ दिए गए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हस्तक्षेप के बाद कई नाम जोड़े गए।

महाधिवेशन में गांधी परिवार पर नजर

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भले मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, पर महाधिवेशन में तो सबकी नजर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर रहेगी। महाधिवेशन में सोनिया गांधी आतीं हैं या नहीं, इस पर भी कयास लगाया जा रहा है, वहीं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी महाधिवेशन में पूरे तीन दिन रुकते हैं या एक ही दिन शामिल होकर लौट जाते हैं। इस पर भी चर्चा हो रही है। वैसे महाधिवेशन के एक हफ्ते पहले से ही नवा रायपुर में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के कटआउट और पोस्टर जगह-जगह दिखने लगे हैं। नवा रायपुर भी चकाचक हो रहा है। महाधिवेशन के लिए नवा रायपुर में टेंट शहर बसाया जा रहा है।

होटल-गेस्ट हाउस बुक

कहते हैं 24 से 26 फ़रवरी तक कांग्रेस के महाधिवेशन के कारण रायपुर शहर ही नहीं अभनपुर और आरंग के होटल, गेस्ट हाउस और धर्मशाला बुक हो गए हैं। इस महाधिवेशन में पदाधिकारियों के अलावा एआईसीसी व पीसीसी डेलीगेट्स और विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल होंगे। अनुमान है कि सभी मिलाकर करीब 15,000 लोग हो जाएंगे। इसके अलावा प्रतिनिधियों के साथ भी कुछ लोगों के पहुँचने की संभावना है। 26 फ़रवरी को ही रायपुर में कई केंद्रों में सिविल जज भर्ती परीक्षा होनी है। इसमें राज्यभर के परीक्षार्थियों के अलावा दूसरे राज्य के बच्चे शामिल होने रायपुर आएंगे। अब उनके ठहरने की क्या व्यवस्था होती है , देखते हैं ?

रमन सिंह का वजूद

भाजपा ने अगले विधानसभा चुनाव के लिए अब तक कोई चेहरा घोषित नहीं किया है, पर 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह अब भी जाना-पहचाना चेहरा हैं। जनता उनसे और उनके काम से वाकिफ है। पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा ने अपने छत्तीसगढ़ दौरे में डॉ. रमन सिंह को जिस तरह महत्व दिया और दौरे में अपने साथ रखा, उससे साफ़ है कि राज्य की राजनीति में डॉ. रमन सिंह का महत्वपूर्ण स्थान है। कहते हैं नड्डा जी पहले दिल्ली से सीधे जगदलपुर पहुँचने वाले थे , लेकिन डॉ. रमनसिंह को अपने साथ ले जाने के लिए रायपुर होते हुए जगदलपुर गए। इसे एक बड़ा संदेश माना जा रहा है। 2003 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने कोई चेहरा घोषित नहीं किया था, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के नाते रमन सिंह दौड़ में आगे हो गए। तब रमन सिंह के अलावा करुणा शुक्ला और रमेश बैस भी मुख्यमंत्री की दौड़ में थे।

कांग्रेसी विधायक का एसपी के खिलाफ मोर्चा

कहते हैं कांग्रेस के विधायक बृहस्पत सिंह ने बलरामपुर जिले के एसपी मोहित गर्ग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर बृहस्पत सिंह ने अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए और हाइवे जाम कर दिया। इतना ही नहीं एसपी के खिलाफ बलरामपुर शहर में जगह-जगह पोस्टर भी चस्पा करवा दिए। जब राज्य में भाजपा की सरकार थी, तब बृहस्पत सिंह ने बलरामपुर के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन के खिलाफ भी आवाज बुलंद की थी। राज्य में कांग्रेस की सरकार रहते कांग्रेस विधायक के सड़क पर उतरने और एसपी के खिलाफ पोस्टर वार से तरह-तरह के सवाल उठाए जाने लगे हैं। प्रदेश की राजनीति में बृहस्पत सिंह को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खेमे का माना जाता है, क्योंकि वे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के घोर विरोधी हैं। लेकिन बृहस्पत सिंह के विरोधी दल के विधायक जैसे बर्ताव से सरकार पर ही उंगुलियां उठने लगी हैं। अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर टिकी हुई हैं।

ईडी की कार्रवाई पर कयासबाजी

राज्य में कोल लेवी मामले में कुछ अफसरों और कारोबारियों की गिरफ्तारी के बाद कयास लगाया जा रहा है कि ईडी जल्द कुछ बड़ा धमाका कर सकती है। अबकी बार कुछ राजनेताओं पर गाज गिरने की आशंका व्यक्त की जा रही है। रायपुर में 24 से 26 फ़रवरी तक कांग्रेस का महाधिवेशन है। महाधिवेशन के पहले या उसी दौरान ईडी के एक्शन की संभावना व्यक्त की जा रही है। ईडी का केंद्र बिंदु कोरबा जिला बना हुआ है। रिकार्ड खंगालने के लिए ईडी पिछले हफ्ते तीसरी बार कोरबा कलेक्ट्रेट पहुंची थी। कहा जा रहा है ईडी की कार्रवाई फिलहाल भले शांत हैं, पर ईडी के अफसर अपने अभियान में लगे हैं। इस कारण कोयले और खनिज के कारोबार से जुड़े लोगों को ईडी का भूत चैन से रहने नहीं दे रहा है।

नए राज्यपाल पर निगाहें

छत्‍तीसगढ़ के नए राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन 23 फरवरी को सुबह साढ़े 11 बजे शपथ लेंगे । शपथ के साथ ही नए राज्यपाल के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी। आरक्षण बिल के अलावा दूसरे लंबित विधेयकों पर उनके रुख का जनता को इंतजार रहेगा। पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्ति का मसला भी लंबित है। नए राज्यपाल एक मार्च को विधानसभा के बजट सत्र का आगाज करेंगे। शपथ के साथ ही विधानसभा में अभिभाषण से कई बातें साफ़ होंगी और कांग्रेस सरकार के साथ उनका तालमेल कैसा रहेगा, उसका संकेत मिल जाएगा। खांटी जनसंघी हरिचंदन ओडिशा के रहने वाले हैं और लंबे समय तक वहां राजनीति की है। ओडिशा और छत्तीसगढ़ पडोसी राज्य होने के साथ दोनों में कई सांस्कृतिक समानताएं भी है, पर महानदी के जल बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों में रस्साकशी चल रही है। अब देखते हैं नए राज्यपाल राजभवन और सरकार के बीच की दूरी को किस तरह खत्म करते हैं ? या दूरी यथावत बनी रहती है।
तरह खत्म करते हैं ? या दूरी यथावत बनी रहती है।

सिंचाई विभाग की दुर्दशा

सब इंजीनियरों को जल संसाधन विभाग का बैक बोन माना जाता है , लेकिन विभाग में सब इंजीनियरों के स्वीकृत 1400 पदों में से 1200 पद खाली पड़े हैं। केवल 200 सब इंजीनियरों के भरोसे विभाग चल रहा है। कहते हैं सरकार ने जल संसाधन विभाग में 400 सब इंजीनियरों की नियुक्ति कर ली है , लेकिन पोस्टिंग के पहले आरक्षण का पेंच फंस गया। विभाग हाथ में हाथ धरे बैठा रह गया। बिना मैदानी अमले के काम हो तो हो कैसे ? कहा जा रहा है विभाग में मैदानी अमले की कमी के साथ बजट का भी संकट है। इसके चलते राज्य में कोई बड़ी सिंचाई परियोजना नजर नहीं आ रही है। छोटे-मोटे और मेंटेनेंस में ही पूरा विभाग माथा-पच्ची में लगा हुआ है।

लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं। )
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