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राजिम मेला में संडे रहा फनडे, रविवार को राजिम मेला में उमड़ी भीड़

राजिम। माघी पुन्नी मेला के पांचवे दिन की रविवार को भारी भीड़ रही। मेला में इस बार सड़कों की चैड़ाई बढ़ा दी गई है। आस्था धर्म एवं आध्यात्म का संगम धरा में श्रद्धालुगणों का सुबह से ही आना जाना शुरू हो गया था। रविवार छुट्टी का दिन होने के कारण आस्था का सैलाब उमड़ गई थी। मीना बाजार क्षेत्र में खचाखच भीड़ देखने को मिली। दुकानों में सामानों की बिक्री खूब हुई। आकाश, ब्रेक डांस, टोराटोरा, डिजनी लैण्ड, क्राफ्ट बाजार, मौत का कुंआ सहित पूरे मेला मैदान दुकाने सजी हुई है। जिस पर मेलार्थी जरूरत के सामनों को खरीद कियए तथा खाद्य पदार्थ वाले स्टाॅल में स्वादिश्टि व्यंजनों का आनंद भी ले रहे थे। कहना होगा कि मेला मैदान में अलग-अलग गलियां हैं और इस तरह से 3 किलोमीटर का फासला यहीं से तय करना पड़ रहा है। यहां से सीधे चलते हुए संगम में लंबे चैड़े वर्गाकार क्षेत्रफल में फेले मेला का स्वरूप आज अपने पूरे सबाब पर था।

मंदिरों में रही भीड़

राजिम के प्रमुख मंदिर भगवान श्रीराजीव लोचन, श्रीकुलेश्वरनाथ महादेव, लोमष ऋषि आश्रम, पवन दीवान आश्रम, सोमेश्वरनाथ महादेव, मांमा भांचा मंदिर, भूतेश्वनाथ महादेव मंदिर, राजिम भक्तिन माता मंदिर, साक्षी गोपाल, बाबा गरीबनाथ, लक्ष्मीनारायण मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर, मां महामाया मंदिर, तुलजा भवानी मंदिर, गुरूघासीदास मंदिर आदि में दर्शन पूजन एवं अनुष्ठान करने के लिए लोग पहुंचते रहे और अपने मन की मुरादे श्रद्धालुओं ने प्रकट की।

ओखरा खरीदने बारी का इंतजार किया

राजिम मेला के प्रमुख मिठाई ओखरा खरीदने के लिए लोगों ने अपने बारी का इंतजार करते रहे। यहां उड़ीसा से ओखरा लेकर व्यापारी पहुंचे हुए है। इनके अलावा देवभोग व अन्य क्षेत्रों से भी आये हुए है। भीड़ बढ़ने के साथ ही खरीददारी भी जमकर हुई। आज रविवार को उनके लिए भी संडे फनडे रहा।

संगम नदी में स्नान किया

प्रतिदिन संगम नदी में बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण स्नान कर रहे है। माघ पुर्णिमा में प्रथम स्नान हुआ। दूसरा स्नान जानकी जयंती 24 फरवरी को किया जायेगा तथा तीसरा स्नान महाशिवरात्रि के अवसर पर 1 मार्च को होगा। नदी की पवित्रता एवं संगम का महत्व पुराणों में भी वर्णित है। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु संगम के पवित्र जल को देखते ही अपने आप को नहीं रोक पाते और डुबकी लगाने आतुर हो जाते है। प्रदेश सरकार के द्वारा दो शाही स्नान कुंड भी बनाया गया है। इनके अलावा यहां अलग-अलग घाट है जिसमें श्रद्धालुगण दिन प्रतिदिन पुण्य लाभ अर्जित कर रहे है।

मुख्यमंच के दर्षक दीर्घा हो गये फूल

यहां प्रतिदिन मुक्ताकाषी सांस्कृतिक मंच पर प्रदेश के नामचीन कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे है जिसे देखने के लिए दर्शक शाम 5 बजे से ही डट रहे हैं। दर्शक दीर्घा की कुर्सीयां भरी रहती है। इनके अलावा यू-ट्यूब, फेसबुक आदि माध्यमों से भी लोग कार्यक्रम का लुफ्त उठा रहे है।

 

 

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