रायपुर। छग विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन ने अपना अभिभाषण दिया। जिसकी मुख्य बातें ये हैं –
माननीय सदस्यगण,अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि छत्तीसगढ़ की पंचम विधानसभा का सोलहवां सत्र, फाल्गुन चैत्र के पावन माह में आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर मैं आप सबका हार्दिक अभिनंदन करता हूं। आप सभी को बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में प्राप्त जनादेश से वर्तमान राज्य सरकार का गठन हुआ था। मेरी सरकार के पांच वर्षों के कार्यकाल का यह पांचवां बजट सत्र है। वर्ष 2023-24 के बजट सहित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श और निर्णय की कार्यवाही आप लोगों द्वारा की जाएगी। ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ तथा सेवा जतन-सरोकार के ध्येय वाक्य के साथ जो ‘छत्तीसगढ़ मॉडल की शुरुआत हुई थी, उसे मुकाम तक पहुंचाने में मेरी सरकार के प्रयासों में भागीदार बनने के लिए, मैं आप सबको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।
2. किसान, खेती, ग्रामीण विकास और इससे जुड़े विभिन्न क्षेत्रों का समन्वित और सर्वांगीण विकास मेरी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता रही है। इस दिशा में प्रचलित परिपाटियों में सुधार के साथ अनेक नए उपाय भी किए गए, जिसके कारण छत्तीसगढ़ के किसान व ग्रामीण परिवार तेजी से समृद्ध और खुशहाल हुए हैं।
3. अपने प्रदेश की माटी को जहरीले रसायनों से मुक्त करने की बड़ी चुनौती मेरी सरकार ने स्वीकार की है ताकि जमीन का उपजाऊपन, फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता में वृद्धि हो। इसके लिए विभिन्न तकनीकी उपायों के साथ ही जनभावनाओं के स्तर पर भी पहल की गई और प्रतिवर्ष अक्ति त्यौहार को माटी पूजन दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की गई।
4. मेरी सरकार ने ‘सुराजी गांव योजना के माध्यम से ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी’ के संरक्षण, बहुआयामी विकास और उसके माध्यम से आजीविका के अवसरों को बढ़ाया है। ‘नरवा’ के उपचार से भूमिगत जलस्तर में वृद्धि हो रही है, वहीं गौठानों को गौमाता की सेवा के साथ ही जैविक खाद बनाने व अन्य आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनाया गया है। सतत एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट को सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
5. ‘गोधन न्याय योजना’ के तहत गोबर खरीदी की मात्रा 100 लाख क्विंटल तथा गोबर खरीदी की राशि 200 करोड़ रुपए को पार कर चुकी है। 28 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट प्लस का उत्पादन किया गया है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। गौठान समिति के माध्यम से गौ-मूत्र का क्रय भी किया जा रहा है और इससे जैविक कीट नियंत्रक एवं जीवामृत जैसे उपयोगी उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। गोधन और गौ-मूत्र के कार्य से पशु पालकों, गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूहों को होने वाली आय 400 करोड़ रुपए को पार कर चुकी है। गौठानों को ‘ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित करने की नई पहल से गांव-गांव में बड़े पैमाने पर अनेक वस्तुओं के उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण हेतु 75 गौठानों का चयन कर 84 लोगों को प्रशिक्षण हेतु राजस्थान भेजा गया है। 13 जिलों में 23 पेंट निर्माण इकाई लगाने की कार्यवाही शुरू की गई हैं, जिसमें 3 जिलों रायपुर, दुर्ग एवं कांकेर में उत्पादन भी शुरू किया जा चुका है।
6. 5 हजार 874 गौठानों में चारागाह विकसित किए जा चुके हैं, जिसमें 2 लाख 30 हजार क्विंटल हरा चारा का उत्पादन तथा 15 लाख 80 हजार क्विंटल सूखा चारा पैरा इकट्ठा किया जा चुका है जो पैरादान के लिए मेरी सरकार के आह्वान का सुखद परिणाम है।
7. मेरी सरकार ने प्रदेश की प्रमुख फसल धान को भरपूर सम्मान दिया है। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की सटीक व्यवस्था और मिलिंग की सही नीति से राष्ट्रीय स्तर के कीर्तिमान बने हैं। वर्ष 2017-18 में 12 लाख 6 हजार किसानों ने 19 लाख 36 हजार हेक्टेयर रकबे में उपजाया 56 लाख 89 हजार मीटरिक टन धान बेचा था, वहीं मेरी सरकार के विशेष प्रयासों के कारण इस वर्ष 23 लाख 50 हजार किसानों ने 30 लाख 14 हजार हेक्टेयर रकबे में उपजाया 1 करोड़ 7 लाख 53 हजार मीटरिक टन धान समर्थन मूल्य पर बेचा है। इस तरह छत्तीसगढ देश में सर्वाधिक किसानों से धान खरीदने वाला प्रथम, धान की सर्वाधिक कीमत देने वाला अव्वल और सेंट्रल पूल में चावल देने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है। धान के साथ ही अन्य फसलों के उत्पादन में भी छत्तीसगढ़ तेजी से आगे बढ़ रहा है।