पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते चले जाने के बीच इसे अब जीएसटी में शामिल करने की मांग उठने लगी है.पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे जीएसटी के दायरे में लाने का भरोसा दिलाया था तो अब मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग का समर्थन किया है. हालांकि उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है लेकिन आखिरकार इसका फैसला जीएसटी काउंसिल को करना होगा.
केवी सुब्रमण्यम पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से उठाने से पहले ही यह मांग कर चुके हैं. पीएम नरेंद्र मोदी भी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने की मांग दोहरा चुके हैं. दरअसल पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई का दबाव बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है. यह स्थिति सरकार को मुश्किल में डाल सकती है क्योंकि राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. फिलहाल खुदरा महंगाई दर में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है इसलिए सरकार को राहत है. लेकिन पेट्रोल-डीजल सस्ता नहीं किया गया तो महंगाई पर काबू पाना मुश्किल होगा. दरअसल कोरोना संक्रमण की वजह से आर्थिक गतिविधियों को झटका लगा है. महंगा डीजल उन कंपनियों की लागत भी बढ़ाएगा, जो अपना प्रोडक्शन बढ़ाना चाहते हैं. इसलिए सरकार के लिए इस पर कोई कदम तुरंत उठाना जरूरी है.
दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियों में इजाफा हो रहा है इसलिए तेल की मांग भी बढ़ी है. लेकिन तेल उत्पादक देश उस हिसाब से प्रोडक्शन नहीं बढ़ा रहे हैं. पिछले दिनों धर्मेंद्र प्रधान ने यह मुद्दा उठा कर तेल उत्पादक देशों से सहयोग करने की अपील की थी. हालांकि भारत में पेट्रोल और डीजल पर काफी अधिक टैक्स. इस पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी के अलावा भी राज्यों में बहुत ज्यादा टैक्स है. इसलिए इसके दाम कम नहीं हो रहे हैं. जीएसटी दायरे में लाने पर महंगे पेट्रोल-डीजल से कुछ हद तक राहत मिल सकती है.