Close

न्यायमूर्ति अनिल कुमार शुक्ला की दो काव्य-पुस्तकों का विमोचन 3 मार्च को

रायपुर। न्यायमूर्ति अनिल कुमार शुक्ला की दो काव्य पुस्तकों का विमोचन समारोह कल रविवार तीन मार्च को शाम 4 बजे राजधानी रायपुर में लोक आयोग के हाल में आयोजित किया जाएगा। इनमें ग़ज़ल संग्रह संग्रह ‘अपना शहर ,बेगाने लोग’ और कविता -संग्रह ‘आखर-आखर ढाई आखर ‘ शामिल है। न्यायमूर्ति श्री शुक्ला छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ,बिलासपुर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। उनकी दोनों काव्य पुस्तकों के विमोचन समारोह का आयोजन स्थानीय नगर निगम भवन के पास लोक आयोग कार्यालय के सभाकक्ष में किया जाएगा। विमोचन समारोह का आयोजन छत्तीसगढ़ साहित्य एवं संस्कृति संस्थान रायपुर द्वारा किया जाएगा।

समारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकायुक्त न्यायमूर्ति  टी. पी. शर्मा होंगे। अध्यक्षता मैट्स विश्वविद्यालय ,रायपुर के कुलपति डॉ. के. पी. यादव करेंगे। समारोह में पूर्व मंत्री तथा छत्तीसगढ़ साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के संरक्षक सत्यनारायण शर्मा , साहित्यिक पत्रिका ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ के सम्पादक डॉ. सुशील त्रिवेदी ,वरिष्ठ भाषाविद डॉ. चित्तरंजन कर और वरिष्ठ कवि तथा व्यंग्यकार गिरीश पंकज विशेष अतिथि के रूप में शामिल होंगे। यह जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के महासचिव डॉ. सुधीर शर्मा और कोषाध्यक्ष डॉ. सुरेश शुक्ला ने सभी साहित्यप्रेमियों और साहित्यकारों से समारोह में सम्मिलित होने की अपील की है।
उल्लेखनीय है कि दोनों काव्य पुस्तकों के रचनाकार न्यायमूर्ति अनिल कुमार शुक्ला मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय  राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला के सुपुत्र हैं। जस्टिस अनिल शुक्ला का जन्म बिलासपुर में हुआ । उन्होंने बी.एस-सी. ,एम. ए. और एल. एल. बी. की शिक्षा हासिल करने के बाद कुछ समय तक बिलासपुर जिला अदालत में वकालत की। वर्ष1985 में वह व्यवहार न्यायाधीश की प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सिविल जज बने और अपने सेवाकाल में रायपुर ,भोपाल, सीहोर ,देवास आदि स्थानों पर पदस्थ रहे। वह वर्ष 2005 में जिला न्यायाधीश के पद पर पदोन्नत हुए और दस वर्षों तक छत्तीसगढ़ के महासमुंद , धमतरी और रायगढ़ जिलों में पदस्थ रहे। वर्ष 2016 में वह छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। वर्तमान में वह राजधानी रायपुर में निवासरत हैं ।

scroll to top