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नक्सली दस्ते में शामिल रहे सात पूर्व नक्सली सदस्यों ने किया आत्मसमर्पण

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ एवं झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सली संगठन में सक्रिय रहे तीन महिलाओं सहित सात पूर्व नक्सलियों ने शनिवार को बलरामपुर एसपी मोहित गर्ग के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। बलरामपुर पुलिस ने इसे बड़ी सफलता बताया है। आत्म समर्पण करने वाले नक्सलियों में कोई भी हार्डकोर नक्सली नहीं हैं। हालांकि कुछ मामलों में उन्होंने शामिल होना स्वीकार किया है। आत्म समर्पण करने वाले नक्सली जोनल कमांडर विमल उर्फ राधेश्याम के दस्ते में कुछ माह से लेकर दो वर्ष तक सक्रिय रहे थे। वे दस्ते में खाना बनाने, संतरी ड्यूटी करने, सामान ढोने के कामों में लगाए गए थे। वे आगजनी एवं बम लगाने की घटनाओं में दस्ते के साथ शामिल थे।
बलरामपुर एसपी मोहित गर्ग ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि छत्तीसगढ़ सीमा पर लगातार नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए अभियान एवं पूर्व में नक्सली दस्तों में शामिल आरोपियों के धरपकड़ के लिए दबाव बनाए जाने के बाद तीन महिला एवं चार पुरूष सदस्यों ने बलरामपुर पुलिस के समझ आत्मसमर्पण किया है। इनमें एक महिला नक्सली झारखंड की निवासी है। शेष छह बलरामपुर के सामरी क्षेत्र के हैं।

इनमें नन्दू कोरवा पिता मुनेश्वर कोरवा 28 वर्ष, गुड़वा कोरवा पिता राजेश कोरवा 30 वर्ष, सनी बृजिया पिता बलराम बृजिया 18 वर्ष, लक्ष्मण नगेशिया पिता रामनाथ नगेशिया 35 वर्ष, आशा उर्फ फुलवंती पिता गोदाम कोरवा 21 वर्ष, अमरिता उर्फ सरस्वती पति नेशनल गांझू 20 वर्ष सभी सामरीपाठ थाना अंतर्गत रहने वाले तथा कुमारी कांती पिता कोके कोरवा 20 वर्ष निवासी ग्राम सेमराखांड़, थाना महुडांड़ जिला लातेहार झारखंड शामिल है।

एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि सभी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने इनामी जानेल कमांडर विमल के दस्ते में वर्ष 2016-17 से वर्ष 2018-19 में कुछ माह से लेकर एक वर्ष तक सक्रिय रहे। इस दौरान उन्होंने संतरी ड्यूटी की एवं बम लगाने एवं आगजनी की घटनाओं में शामिल होना स्वीकार किया है। वे स्वयं ही दस्ते से भाग निकले थे।
अपने साथ ले गए थे नक्सली-

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली सदस्यों ने बताया कि उन्हें जोनल कमांडर विमल द्वारा अपने साथ ले जाकर दस्ते में शामिल किया गया था और खाना बनाने, सामान ढोने के साथ संतरी ड्यूटी दिया जाता है। संतरी ड्यूटी के दौरान उन्हें बंदूकें दी जाती थी। कुछ समय तक नक्सलियों के साथ रहने के बाद वे मौका पाकर भाग निकले थे।

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