दिल्ली। वोटर लिस्ट में हेरफेर के आरोपों के बीच मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस मुद्दे पर मंगलवार को केंद्रीय गृह सचिव, विधायी सचिव और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ चर्चा करेंगे। हाल ही में डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र के मुद्दे पर संसद में हो रहे विवाद को लेकर यह कदम उठाया जा रहा है।
संसद के भीतर और बाहर जिस डुप्लीकेट वोटर कार्ड (ईपीआईसी) के नंबरों को लेकर जमकर बवाल हो रहा है। साथ ही राजनीतिक दल इसके जरिये चुनाव आयोग की वैधता पर ही सवाल उठे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी यह मुद्दा उठाया था। बीते शुक्रवार को चुनाव आयोग (ईसी) ने कहा था कि वह दशकों पुरानी डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबरों की समस्या को अगले तीन महीने में हल कर लेगा।
बताया जाता है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23, जिसे चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 कहा जाता के मुताबिक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी मौजूदा या भावी मतदाताओं से स्वैच्छिक आधार पर पहचान स्थापित करने के लिए आधार संख्या प्रदान करने की मांग कर सकते हैं। यह कानून मतदाता सूची को आधार डाटाबेस के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति देता है।
सरकार ने भी इस मुद्दे पर कहा है कि आधार-वोटर कार्ड सीडिंग अभ्यास प्रक्रिया संचालित है और प्रस्तावित लिंकिंग के लिए कोई लक्ष्य या समयसीमा तय नहीं की गई है। इसके अलावा जो लोग अपने आधार विवरण को मतदाता सूची से नहीं जोड़ते हैं, उनके नाम मतदाता सूची से नहीं काटे जाएंगे।
टीएमसी ने समान ईपीआईसी नंबर को लेकर दर्ज कराई थी शिकायत
पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने कई राज्यों में डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र नंबरों का मुद्दा उठाया और चुनाव आयोग पर कवर-अप का आरोप भी लगाया है। टीएमसी के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को कोलकाता में चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और एक ही मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर के बारे में अपनी शिकायतें दर्ज कराईं। चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद पश्चिम बंगाल के मंत्री और कोलकाता मेयर फिरहाद हकीम ने पत्रकारों से कहा कि प्रत्येक मतदाता के पास एक विशिष्ट पहचान पत्र संख्या होनी चाहिए और उन्होंने इसे सुनिश्चित करने के लिए भौतिक सत्यापन की मांग की।