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डीजल की बिक्री कोरोना काल से पहले के स्तर पर पहुंची, LPG सेल में आई गिरावट

भारत में डीजल की खपत मार्च के पहले पखवाड़े में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 7.4फीसदी बढ़कर 28.4 लाख टन हो गई है, लेकिन रसोई गैस या घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की मांग, रिफिल की कीमतों में भारी वृद्धि और सब्सिडी को हटाने के साथ 3 फीसदी से अधिक गिर गई. ये जानकारी मंगलवार को जारी किए गए उद्योग के शुरुआती आंकड़ों से मिलती है.

वहीं बाजार में 90% का वर्चस्व रखने वाले राज्य के ईंधन खुदरा विक्रेताओं के डेटा, फरवरी से एक साल पहले 5प्रतिशत से अधिक की पेट्रोल बिक्री दिखाते हैं. अक्टूबर 2020 से डीजल की बिक्री में यह पहली सालाना वृद्धि है, इससे साफ जाहिर होता है कि अर्थव्यवस्था में तेजी आ रही है इससे निकट भविष्य में खपत में वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं.

फरवरी में डीजल की मांग में 8% की गिरावट आई थी और एक साल पहले फरवरी में पेट्रोल की खपत में 2% की गिरावट आई थी. दिसंबर में, पहली बार बिक्री में अक्टूबर के बाद 6% की मासिक गिरावट दर्ज की गई थी.वहीं जेट ईंधन की बिक्री मार्च पखवाड़े में एक साल पहले 36% से ज्यादा नीचे थी. ये हालांकि, इसे फरवरी के बाद से रिकवरी के संकेत के रूप में देखा जा सकता है जब खपत पूर्व-महामारी स्तर से 40% कम थी.

अर्थव्यवस्था ने दिसंबर तिमाही में मंदी से बाहर निकलते हुए 0.4% की वृद्धि दर्ज की. हालांकि एलपीजी की खपत में गिरावट हैरान करने वाली है क्योंकि बिक्री में वृद्धि के मामले में सकारात्मक क्षेत्र में बने रहने के लिए यह एकमात्र ईंधन है. देश के कुछ हिस्सों में गर्मी की शुरुआत इसका एक कारण हो सकता है, फरवरी में 125 रुपये प्रति सिलेंडर की कीमत और एक साथ सब्सिडी के नुकसान को भी खारिज नहीं किया जा सकता है.

गौरतलब है कि पिछले साल कोविड-19 की वजह से देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. इस वजह से भारत में ईंधन की बिक्री भी काफी प्रभावित हुई थी. दिसंबर की तिमाही में भारत की इकोनॉमी वृद्धि की पटरी पर लौटने लगी है. जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि अब एक बार फिर अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी.

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