आज से हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो रही है। इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा को संवत्सर पड़वो के नाम से भी जाना जाता है, यह मुख्य रूप से भारतीय राज्य महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला वसंत ऋतु का त्योहार है। यह हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और चैत्र महीने के पहले दिन पड़ता है.उत्सव की खुशियों के साथ-साथ, गुड़ी पड़वा को संपत्ति या नया घर खरीदने का भी शुभ समय माना जाता है। गुड़ी पड़वा, मराठी नया साल, लोगों के लिए नई शुरुआत और आशा की भावना लाता है। मुख्य रूप से यह पर्व महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाता है, गुड़ी पड़वा या उगादी अगले फसल वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। गुड़ी पड़वा चैत्र के पहले दिन मनाया जाता है। आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा का महत्व और पूजा विधि के बारे में।
गुड़ी पड़वा का महत्व
गुड़ी पड़वा हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। ऐसा माना जाता है कि गुड़ी को घर पर फहराने से घर से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और जीवन में भाग्य और समृद्धि आती है। यह दिन वसंत की शुरुआत का भी प्रतीक है और इसे फसल उत्सव के रूप में माना जाता है। इस उत्सव को कई अन्य राज्यों में संवत्सर पड़वो, उगादि, उगादी,चेती, नवरेह, साजिबू नोंगमा पानबा चीरोबाआदि नामों से जाना जाता है। कई लोगों का मानना है कि इस दिन सोना या नई कार खरीदना शुभ होता है।
गुड़ी पड़वा कैसे मनाते हैं?
गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का पर्व है। हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। गुड़ी पड़वा के दिन बहुत से कार्य किए जाते हैं। इस दिन झंडा, या गुड़ी, घर के सामने फहराया जाता है, और द्वार पर रंग-बिरंगी रंगोली बनाई जाती है। ध्वज को पीले रेशमी आभूषणों, फूलों और आम के पेड़ के पत्तों से सजाया जाता है। सिंदूर और हल्दी से बना एक शुभ स्वास्तिक बनाया जाता है। इस दिन ज़रूरतमंद लोगों को पानी के साथ और भी अन्य वस्तुएं देनी चाहिए।