वेज कोड 2019 से आपका सैलरी स्ट्रक्चर बदल जाएगा. नई परिभाषा के मुताबिक वेज का मतलब होगा कर्मचारियों के कुल वेतन का कम से कम 50 फीसदी. इससे कर्मचारियों के बेसिक पे में बदलाव आ जाएगा. इस वजह से सैलरी के अन्य कंपोनेंट मसलन प्रॉविडेंट फंड, ग्रैच्युटी आदि में बदलाव. इसकी गणना अब बेसिक पे की नई परिभाषा के आधार पर होगी. इस री-स्ट्रक्चरिंग से कर्मचारियों की टेक होम सैलरी कम हो सकती है लेकिन रिटायरमेंट बेनिफिट बढ़ सकते हैं. यानी पीएफ में ज्यादा पैसा जमा हो सकता है. ग्रैच्युटी में भी कंट्रीब्यूशन बढ़ सकता है.
किसी भी सीटीसी में बेसिक वेज, एचआरए और रिटायरमेंट बेनिफिट जैसे -पीफ, ग्रेच्यूटी एक्रुअल, एनपीएस जैसे तीन-चार कंपोनेट होते हैं. एलटीए और एंटरटेनमेंट जैसे कंपोनेंट भी होते हैं. लेकिन अब नए कोड वेज के तहत सैलरी स्ट्रक्चर बनानी है तो कुछ कंपोनेंट को बाहर करने होंगे या कुछ बाहर रखे गए कंपोनेंट को शामिल करने होंगे. लेकिन किसी भी स्थिति में बाहर किए गए कंपोनेंट सैलरी के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए. मान लीजिये किसी की सैलरी 1 लाख रुपये है तो जो राशि बाहर रखी जाएगी वह 50 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए. यानी बेसिक वेज 50 हजार रुपये होगी. कंपनियों को 50 फीसदी की इस लिमिट को पाने के कुछ अलाउंस में कटौती करनी होगी. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ज्यादातर कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में इजाफा होगा और अलाउंस घटेंगे. बेसिक सैलरी में 30 से 50 फीसदी इजाफा हो सकता है.
जाहिर है बेसिक सैलरी ज्यादा होने से कर्मचारियों का पीएफ कंट्रीब्यूशन ज्यादा होगा. कर्मचारी 12 फीसदी और नियोजक12 फीसदी का योगदान देंगे. बढ़ी हुई बेसिक सैलरी पर यह कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा. इसलिए रिटायरमेंट बेनिफिट ज्यादा होगा. यानी पीएफ में ज्यादा पैसा जमा होगा. हालांकि टेक होम सैलरी घट सकती है.
जहां तक टैक्स का असर है तो सरकार ने अब पीएफ कंट्रीब्यूशन में उस लिमिट को बढ़ा दिया है, जिस पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव था. अब यह लिमिट ढाई लाख से पांच लाख रुपये हो गई है. इसलिए पीएफ में ज्यादा कंट्रीब्यूशन होने पर भी पांच लाख से ऊपर पर आने वाले ब्याज पर ही टैक्स कटौती होगी. कुल मिलाकर नया वेज कोड कर्मचारियों के लिए बेहतर आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराएगा.इससे भले ही टेक होम सैलरी कम होगी, लेकिन पीएफ में ज्यादा पैसा जमा होगा.