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देश में फिर लॉकडाउन लगने की सुगबुगाहट तेज, जानिए क्या है कोरोना से प्रभावित राज्यों का विचार

आंकड़े मौत और बीमारी का आडंबर करने लग गए हैं. तो ऐसे में फिर ये सुगबुगाहट तेज हो गई कि क्या देश में फिर से लॉकडाउन लग सकता है? अगर देश में नहीं तो क्या कुछ राज्यों या फिर कुछ शहरों में लॉकडाउन लग सकता है? क्या कुछ राज्य लॉकडाउन पर विचार करने लगे हैं? यहां आप जानिए क्या है कोरोना से प्रभावित राज्यों का विचार.

कोरोना के बढ़ते मामलों पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को एक आपात बैठक की. इस बैठक के बाद केजरीवाल ने साफ कर दिया कि दिल्ली सरकार का लॉकडाउन लगाने का कोई विचार नहीं है. अगर भविष्य में जरूरत पड़ी तो लोगों से बातचीत करके ही निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि, “दिल्ली ने सबसे ज्यादा मुश्किल कोरोना की स्थिति में एनकाउंटर किया है, देश के लिए कोरोना की ये दूसरी लहर हो सकती है लेकिन दिल्ली के लिए ये चौथी वेब (लहर) है.”

वहीं महाराष्ट्र के पुणे में आंशिक लॉकडाउन लगा दिया गया है. एक सप्ताह के लिए शाम छह बजे से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लगाया गया है. हर तरह के मॉल और सिनेमा हॉल, रेस्टोरेंट, खाने की दुकानें आदि बंद रहेंगे. सिर्फ होम डिलीवरी की सेवा प्रदान की जाएगी. स्कूल कॉलेज को 30 अप्रैल के लिए बंद कर दिया गया है. प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य और अन्य विभागों के शीर्ष अधिकारियों के साथ शुक्रवार सुबह उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया.

मतलब बढ़ते कोरोना का पहला रुझान उसी पुणे से मिल गया जहां सबसे ज्यादा वैक्सीन बन रही है, लेकिन लापरवाही से कोरोना कैस भी खूब आ रहे हैं. और सच तो ये है कि जितने केस हिंदुस्तान में आ रहे हैं उसका आधा हिस्सा तो महाराष्ट्र से ही पूरा हो रहा है, ऐसे में सरकार लॉकडाउन के बारे सोच तो सकती है, मगर सहयोगी पार्टी साथ नहीं दे रही. यानि साफ है कि NCP नहीं चाहती कि फिर से लॉकडाउन लगे. वो दूसरे विकल्पों की बात कर रही है और बीजेपी भी महाराष्ट्र में लॉकडाउन के खिलाफ है.

उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कक्षा आठ तक के सभी सरकारी और निजी स्कूलों को 11 अप्रैल तक बंद रखने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर टीम (टीम-11) के साथ कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि इस दौरान शिक्षकों का स्कूलों में आना अनिवार्य होगा. उन्होंने कहा कि, “सभी जिलों में अधिकारी तय करें कि कक्षा 9 से 12 तक की शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के स्कूल में आगमन के दौरान स्कूलों में कोविड प्रोटोकल का सख्ती से पालन हो. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने में जरा भी संकोच न करें.”

कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने कोरोना की स्थिति पर शुक्रवार को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की. इस दौरान विशेष रूप से उन 11 राज्यों के हालात पर चर्चा की गई, जहां स्थिति चिंताजनक बताई गई है. इन राज्यों में महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, केरल, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु और चंडीगढ़ शामिल हैं. महाराष्ट्र की हालत पर विशेष रूप से चिंता जताई गई. 31 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 14 दिनों में इन्हीं 11 राज्यों में कोरोना के 90 फीसदी मामले आए हैं. वहीं, कुल 90.5 फीसदी मौतें भी इन्हीं राज्यों में हुई हैं.

सभी राज्यों से संक्रमण रोकने के लिए 8 सूत्री कदम उठाने को कहा गया है. ऐसे लोग जिनमें कोरोना के लक्षण हैं लेकिन निगेटिव आते हैं, उनका RTPCR टेस्ट अनिवार्य किया जाए. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए 25-30 लोगों के बारे में 72 घंटों के भीतर पता लगाया जाए और उनका टेस्ट करवाया जाए. संक्रमण दर 5 फीसदी या उससे कम लाने के लिए टेस्ट में बढोतरी की जाए. जितने टेस्ट किए जाएं, उनमें कम से कम 70 फीसदी RTPCR टेस्ट किया जाए. संक्रमित व्यक्ति को तुरंत आइसोलेशन में डाला जाए. अगर घर में हैं, तो उसकी रोजाना निगरानी हो. जरूरत पड़ने पर मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया जाए. कंटेंमेंट जोन और माइक्रो कंटेन्मेंट जोन बनाए जाएं ताकि संक्रमण का चेन टूट सके.

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