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परशुराम द्वादशी आज : संतान सुख के लिए करें व्रत एवं पूजा, मिलेगा पूण्य फल

हिंदू धर्म में भगवान परशुराम को श्री हरि विष्णु का अवतार माना गया है. मान्यता है कि जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ गया तो धरती माता के निवेदन पर उसका नाश करने और धर्म को स्थापित करने के लिए उन्हाेंने यह अवतार लिया था. पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि का जुड़ाव उनसे माना गया है क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन भगवान परशुराम को देवों के देव महादेव ने उन्हें दिव्य अस्त्र फरसा प्रदान किया था. जिसकी मदद से उन्होंने पृथ्वी पर आतताई राजाओं का संहार किया था. आज यह पावन व्रत रखा जाएगा. हिंदू धर्म में परशुराम द्वादशी के व्रत एवं पूजा का क्या महत्व है, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.

परशुराम द्वादशी का धार्मिक महत्व
भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम शस्त्र और शास्त्र दोनों के ज्ञाता थे. हिंदू धर्म में उनकी पूजा और व्रत का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. सनातन परंपरा में भगवान परशुराम से जुड़ी द्वादशी तिथि को सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान परशुराम का व्रत करने से मिले पुण्य का प्रभाव कभी समाप्त नहीं होता है. मान्यता यह भी है कि यदि इस दिन कोई नि:संतान दंपत्ति संतान की कामना को रखते हुए यह व्रत रखता है तो उसे जल्द ही स्वस्थ और सुंदर संतान प्राप्त होती है.

भगवान परशुराम का मंत्र
सनातन परंपरा में किसी भी देवता की पूजा में मंत्र जप का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. ऐसे में आज परशुराम द्वादशी का पुण्यफल पाने के लिए भगवान परशुराम की पूजा करते समय उनके मंत्र ‘ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्’ का अधिक से अधिक जप करें. मान्यता है कि इस मंत्र को जपने से भगवान परशुराम अपने भक्तों की जल्द ही मनोकामना पूरी करते हैं.

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