नई दिल्ली: राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामलों, अस्पताल में बेड की कमी, ऑक्सीजन की कमी और दवाइयों की कमी जैसे अलग-अलग मुद्दों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने रेमडेसिविर जैसे जरूरी इंजेक्शन और दवाइयों के लिए वेब पोर्टल पर जानकारी देने के मुद्दे पर सुनवाई शुरू की. रेमडेसिविर जैसी अहम दवाओं की कालाबाजारी रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को एक वेब पोर्टल बनाने का सुझाव दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं है और उसमें लक्षण देखे जाते है तो उन लोगों को भी प्राथमिकता से इलाज देना जरूरी है.
दिल्ली हाईकोर्ट बुधवार को कहा कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा ऑक्सीजन की कमी के बारे में झूठे चेतावनी संदेश नहीं दिए जाने चाहिए क्योंकि इससे पहले से ही दबाव झेल रहे सरकारी तंत्र पर अनावश्क रूप से बोझ और बढ़ जाता है. इसके साथ ही अदालत ने दिशा-निर्देश तय किए कि कब इस तरह के एसओएस (त्राहिमाम संदेश) जारी किए जाएंगे.
अदालत ने कहा था कि जब अस्पताल के पास छह घंटे या उससे कम समय की ऑक्सीजन बाकी हो, तो उसे पहले अपने आपूर्तिकर्ता से संपर्क करना चाहिए. अगर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो अस्पताल को नोडल अधिकारी को सूचना देनी चाहिए. इसके बाद भी आपूर्ति प्राप्त नहीं होने और केवल तीन घंटे की ऑक्सीजन बची होने की सूरत में वे न्याय मित्र और वरिष्ठ वकील राजशेखर राव या वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा या दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील सत्यकाम से संपर्क कर सकते हैं.
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा था, ‘ इससे पहले भी हमने पाया है कि झूठे चेतावनी संदेश जारी नहीं किए जाने चाहिए क्योंकि ऐसा करने से पहले से दबाव झेल रहे सरकारी तंत्र पर अनावश्यक बोझ पड़ता है.’
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