देश में म्यूचुअल फंड के रिटर्न में कमी आने के साथ ही लोग निवेश के दूसरे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं. निवेशकों का ध्यान अब इंटरनेशनल फंड की ओर है. लेकिन क्या इंटरेशनल फंड निवेशकों को बढ़िया रिटर्न दे पा रहे हैं. क्या इनमें निवेश घरेलू फंड जितना ही आसान है? आखिर इन फंड्स में निवेश के क्या फायदे हैं. क्या आपको इस फंड में निवेश करना चाहिए?
इंटरनेशनल फंड डाइवर्सिफिकेशन में मददगार
कई बार ऐसा होता है कि भारतीय फंड अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते. या देश की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन ठीक नहीं रहने से फंड्स निवेशकों को अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न नहीं मिल पाता है. ऐसे में इंटरनेशनल फंड निवेश के डायवर्सिफिकेशन के काम आते हैं. इससे निवेशक का जोखिम घट जाता है. भारतीय निवेशकों के लिए इंटरनेशनल फंड के कई विकल्प मौजूद हैं. ये देश, क्षेत्र, थीम और टेक्नोलॉजी पर आधारित होते हैं. कोई भारतीय निवेशक रुपये में इन इंटरनेशनल फंडों में निवेश कर सकता है. निवेशक सामान्य म्यूचुअल फंड की तरह इंटरनेशनल फंड का चुनाव कर उसमें ऑनलाइन या ऑफलाइन निवेश कर सकते हैं.
कितना लगता है टैक्स
इंटरनेशनल फंड पर ठीक उसी तरह टैक्स लगता है जैसे डेट फंड में. इस फंड में तीन साल से कम समय तक निवेश बरकरार रखने पर निवेशक को इसके मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ता है. टैक्स की दर निवेशक के टैक्स स्लैब के अनुसार होती है. तीन साल से ज्यादा वक्त तक फंड में निवेश बनाए रखने पर निवेशक को इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है. इसकी वजह यह है कि इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स माना जाता है. इंडेक्सेशन के बाद टैक्स की दर 20 फीसदी होती है. इसमें कुछ जोखिम भी हैं. . दूसरे देश की मुद्रा के मुकाबले रुपये में कमजोरी और मजबूती का असर आपके रिटर्न पर पड़ता है. इसलिए इंटरनेशनल फंड में निवेश करने से पहले करेंसी में होने वाले उतार-चढ़ाव के जोखिम के लिए तैयार रहना चाहिए.
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