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देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन की रफ्तार के बावजूद कैश सर्कुलेशन दशक के टॉप पर

देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से कई राज्यों में लगे लॉकडाउन और पाबंदियों के बावजूद अर्थव्यवस्था में कैश सर्कुलेशन के दशक के टॉप पर पहुंच गया है. इस वक्त देश में कैश सर्कुलेशन जीडीपी के छठे हिस्से तक पहुंच चुका है. आने वाले दिनों में मेडिकल इमरजेंसी को देखते हुए कैश की किल्लत बढ़ सकती है. इसके साथ ही डिजिटल पेमेंट भी काफी बढ़ा है. 2016 में नोटबंदी के बाद से डिजिटल पेमेंट में कई गुना की बढ़ोतरी हुई है.

दरअसल कोरोना संक्रमण की वजह से देश में जिस तरह की मेडिकल इमरजेंसी पैदा हुई है, उससे लोग कैश घर में जमा रख रहे हैं ताकि जरूरत पड़ने  पर इसका इस्तेमाल किया जा सके. साथ ही डिजिटल ट्रांजेक्शन भी बढ़ा है. चूंकि इमरजेंसी में कैश सबसे अच्छा लेनदेन का साधन साबित होता है इसलिए लोगों का इसकी ओर रुझान बढ़ रहा है. यह ट्रेंड सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में देखा जा रहा है. जहां लोग सिक्योरिटी और लिक्विडिटी की वजह से कैश को ही ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. हालांकि लॉकडाउन और पाबंदियों की वजह से कैश के सर्कुलेशन बहुत तेजी से नहीं बढ़ा है लेकिन लोग अपने घर में कैश रख रहे हैं. क्योंकि उन्हें मेडिकल इमरजेंसी और आर्थिक अनिश्चितता का डर सता रहा है.

2016 में नोटबंदी के बाद 2017 कैश का इस्तेमाल जीडीपी के 12 फीसदी से घट कर 8 फीसदी पर आ गया था. हालांकि इसके बाद इसमें बढ़ोतरी दर्ज की जाती रही. 2021 में करेंसी सर्कुलेशन 17 फीसदी बढ़ कर 28.6 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. 2020 में यह 14 फीसदी था. 7 मई 2021 में सिस्टम में कैश बढ़ कर 29.4 लाख करोड़  रुपये पर पहुंच गया. इस बीच डिजिटल ट्रांजेक्शन 40.1 फीसदी बढ़ गया  है .

 

 

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