भारत में कोरोना वायरस की खतरनाक दूसरी लहर जारी है. अचानक से संक्रमण के कारण मरीजों की संख्या में हुई बढ़ोतरी ने स्वास्थ्य तैयारियों की पोल खोल दी. लोगों के लिए बेड, ऑक्सीजन, सिलेंडर और जीवन रक्षक दवाइयों की कमी पड़ गई. पहली लहर ने बुजुर्गों को ज्यादा निशाना बनाया था, लेकिन दूसरी लहर ने व्यस्कों को अधिक प्रभावित किया. अब विशेषज्ञों को लगता है कि तीसरी लहर में 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा है.
अभी तक कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान 18 साल से ऊपर के लोगों पर लागू है. ये बताते हुए कि नवजात और बच्चों के बीच कोविड-19 के मामले स्वास्थ्य विभाग के लिए गंभीर चुनौती है, बाल चिकित्सक डॉक्टर कमल किशोर धुले ने कहा, “तीसरी लहर बस चंद महीने दूर है और कोरोना से बच्चों का संक्रमित होना उनके परिवार के लिए चुनौती भी है.” उनका कहना है कि ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे बाहर खेलने जाते हैं. हालांकि, बच्चों के बीच घातक के जोखिम का सबूत नहीं के बराबर है, लेकिन वायरस से संक्रमित होने के बाद उनके अंदर ब्लैक फंगस का पता चल सकता है.
म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस दुर्लभ मगर गंभीर फंगल संक्रमण है. कोविड-19 से उबर चुके या उबर रहे लोगों में म्यूकोरमाइकोसिस फंगल संक्रमण होता है. ब्लैक फंगस म्यूकर फफूंद के कारण होती है और आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. हालांकि, ये आम तौर से साइनस, दिमाग और लंग्स को प्रभावित करता है. इसके अलावा संक्रमण स्किन, घाव या अन्य किस्म की स्किन के चोट पर भी हो सकता है. ब्लैक फंगस के लक्षण कोविड-19 से ठीक होने दो से तीन दिन बाद जाहिर होते हैं. धुले बताते हैं, “अगर बच्चा कुपोषित है या कुछ अन्य बीमारी है, तो उसे स्किन की बीमारी के होने की भी संभावना है.” डॉक्टर चेताते हैं कि अगर बच्चे को उचित इलाज नहीं मिलता है, तो संक्रमण का लेवल बढ़ सकता है. उनका कहना है कि बच्चों की इम्यूनिटी बिल्कुल मजबूत होती है. लेकिन वायरस के रूपों में आ रहे बदलाव के कारण जरूरी हो गया है कि हम सभी कोविड-19 से जुड़ी सुरक्षा संबंधी सभी प्रोटोकॉल का पालन करें और अपने बच्चों को सही सलामत रखने के लिए सावधानी बरतें.
जयपुर गोल्डन अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर राघवेंद्र पराशर ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर को खारिज नहीं किया जा सकता, लेकिन कोविड-19 के उचित व्यवहार का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए ताकि संक्रमण के फैलाव से बचा जा सके. 18 साल से नीचे के लिए अभियान के शुरू नहीं की वजह से तीसरी लहर में सिर्फ बच्चे बिना टीकाकरण के होंगे. उन्होंने बताया कि बच्चों के इलाज के लिए स्पेशल आईसीयू बेड इस्तेमाल करना होगा. उसी तरह Pediatric Intensive Care Unit की भी व्यवस्था करने की जरूरत होगी. जरूरी है कि हर शख्स पहले से ही इम मुद्दों पर मंथन कर ले. आपको बता दें कि तीसरी लहर की शुरुआत यूरोप में हुई और अमेरिका से होते हुए ब्रिटेन पहुंची.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर के मद्देनजर तैयार रहने का सरकारो को आदेश दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में 5 फीसद से कम लोगों का टीकाकरण हो सका है. इसलिए, कोरोना वायरस की जंग टीकाकरण प्रक्रिया को तेज कर ही लड़ी जा सकती है. पहली लहर में 1 फीसद से भी कम बच्चे संक्रमित हुए थे लेकिन दूसरी लहर में संक्रमण का दर बच्चों के बीच बढ़कर 10 फीसद तक हो गया है. बच्चे अभी तक वैक्सीन हासिल नहीं कर सके हैं, इसलिए तीसरी लहर में उन्हें सबसे ज्यादा खतरा होगा.
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