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सफलता की कहानी :सोनादुला गौठान में मिल गया गंगा समूह को ठोर

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० गंगा स्व सहायता समूह जैविक खाद, मुर्गीपालन, बतख पालन, मछलीपान से समूह की कमाई 2 लाख 50 हजार
० गौठान से जय शीतला स्व सहायता समूह, सखी सहेली स्व सहायता समूह भी जुड़े



जांजगीर चांपा। राज्य सरकार की सुराजी गांव गौठान योजना में सोनादुला गौठान की गंगा स्व सहायता समूह की महिलाओं को ठिकाना मिल गया है। गौठान में जैविक खाद बनाने के काम से लेकर महिलाएं मुर्गीपालन, बतख पालन और मछलीपालन के कार्यों से जुड़ी और 2 लाख 50 हजार 987 रूपए की आमदनी पाकर बेहद खुश है। गंगा समूह की महिलाओं की दिनोंदिन उन्नति देखकर गांव की जय शीतला स्व सहायता समूह एवं सखी सहेली समूह की महिलाएं भी आगे आकर गौठान से जुड़ गई हैं और आमदनी प्राप्त कर रही है।

सक्ती जिले की मालखरौदा जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत सोनादुला की स्व सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती सुमन गुप्ता बताती हैं कि पहले छोटे-मोटे काम करके उतनी आमदनी नहीं होती थी, लेकिन जब से गौठान का निर्माण हुआ है उनकी उम्मीद बढ़ गई। गौठान में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर 661.30 क्विंटल खाद उत्पादन की और 331.60 क्विंटल खाद की बिक्री कर 1 लाख 29 हजार 987 एवं 45 हजार रूपए का केंचुआ बेचकर 1 लाख 74 हजार 987 रूपए की आमदनी अर्जित की। समूह द्वारा बतख पालन करते हुए 32 हजार रूपए की लागत लगाई और कड़ी मेहनत करते हुए समूह द्वारा बतख को बेचकर 57 हजार रूपए की आय प्राप्त की और 25 हजार रूपए का शुद्ध लाभ प्राप्त किया। समूह की दीदियों ने गौठान में अपनी आजीविका गतिविधि को बढ़ाते हुए मुर्गीपालन का कार्य भी शुरू किया। जिसमें कार्य करते हुए समूह ने 40 हजार रूपए लगाए और मुर्गी की बिक्री से 71 हजार रूपए आय अर्जित करते हुए 31 हजार का लाभ प्राप्त किया। समूह ने मछलीपालन में भी अपने हाथ अजमाए और 28 हजार रूपए से कार्य शुरू करते हुए 49 हजार में मछली का विक्रय करते हुए 21 हजार का लाभ प्राप्त किया।

जय शीतला और सखी सहेली ने अजमाए हाथ
गौठान में गंगा समूह की सफलता को देखते हुए दूसरे समूह भी जुड़ने शुरू हो गए। जय शीतला समूह की अध्यक्ष श्रीमती मीरा बरेठ बताती हैं कि उनका समूह द्वारा 3 एकड़ क्षेत्र में सब्जी बाड़ी का कार्य करते हुए मूंगफली, आलू प्याज की खेती शुरू की। जिसमें समूह के द्वारा 1 लाख 5 हजार की आय प्राप्त करते हुए 60 हजार 500 रूपए का लाभ प्राप्त किया। समूह की दीदियों ने मुर्गीपालन करते हुए 30 हजार रूपए लगाए और 63 हजार में मुर्गियों को बेचकर 33 हजार रूपए लाभ अर्जित किये। सखी सहेली समूह द्वारा मशरूम उत्पादन करते हुए बीज, बांस, पैरा, पॉलीर्थिन, रसायन में 25 हजार रूपए खर्च करते हुए मशरूम तैयार किया। मशरूम तैयार होने के बाद उसे 51 हजार रूपए में विक्रय कर 36 हजार रूपए का लाभ मिला।

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