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ज्ञानवापी परिसर में कथित शिवलिंग की पूजा करने की मांग पर सुनवाई आज

वाराणसी (Varanasi) में अदालत (Court) से लेकर सड़कों तक ज्ञानवापी (Gyanvapi) की गूंज सुनाई दे रही है. ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Premises) में कथित शिवलिंग (Shivling) की पूजा करने की इजाजत देने वाली अर्जी पर आज वाराणसी जिला अदालत (Varanasi District Court) में सुनावई होगी. कल भी इस मामले पर सुनवाई हुई थी. ये याचिका स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwaranand) ने दाखिल की है. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swaroopanand Sarswati) के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अनशन पर बैठे हैं तो उनकी याचिका पर आज फिर वाराणसी जिला अदालत में 12 बजे सुनवाई है. इस अर्जी में उन्होंने ज्ञानवापी परिसर में कथित शिवलिंग की पूजा (Worship Of Shivling) करने की इजाजत मांगी है. जिसपर एक दिन पहले भी सुनवाई हुई.

इतना ही नहीं, एक तरफ संतो ने मोर्चा खोल दिया तो दूसरी तरफ देश की सियासत भी ज्ञानवापी के ईंद-गिर्द धूम रही है. अब तो केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योती भी खुलकर ज्ञानवापी को हिदुओं को सौंपने की वकालत पर उतर आई हैं. शिवलिंग के दावे वाली जगह पर पूजा पाठ की मांग लेकर तीन दिन से अनशन पर हैं अविमुक्तेश्वरानंद.

दोनों पक्षों के वकीलों ने रखा अपना पक्ष

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से वकील अरुण कुमार त्रिपाठी ने अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से भी अदालत में वकील भी मौजूद रहे. बता दें कि ज्ञानवापी आदि विशेश्वर शिवलिंग की पूजा करने को लेकर अन्न जल त्यागकर केदारघाट स्थित श्रीविद्या मठ में अनशनरत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के समर्थन में असि के मुमुक्षु भवन में रहने वाले दंडी स्वामियों और गंगा सेवा अभियान के लोगों ने एक दिवसीय मौन धरना दिया.

कोर्ट को दी ये दलील

मौन धरने के बाद वहां मौजूद अखिल भारतीय दंडी संन्यासी महासभा (Akhil Bhartiya Dandi Sanyasi Sabha) के महामंत्री स्वामी ईश्चरानन्द तीर्थ (Swami Ishwaranand Teerth) ने बताया कि आदि विशेश्वर प्रकट हो चुके हैं. न्यायालय (Court) की दृष्टि में भगवान 3 साल के माने जाते हैं. इसलिए उन्हें पूजा भोग एवं आरती से वंचित रखना करोड़ों सनातनियों व भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ अन्याय है. उन्होंने कहा कि तमाम दंडी संन्यासी अविमुक्तेश्वरानंद के अन्न जल त्याग तपस्या करने का समर्थन करते हैं.

 

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