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आरबीआई ने नॉन-बैंकिग फाइनेंशियल कंपनियों के लिए जारी किए नए नियम, जानें क्या होगा असर?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लिए नए नियम जारी किए हैं. आरबीआई ने इन कंपनियों की स्टैंडर्ड प्रापर्टी के प्रावधान को लेकर नए नियम जारी किए हैं. इन इकाइयों की वित्तीय व्यवस्था में बढ़ती भूमिका को देखते हुए यह कदम उठाया गया है,

फ्रेमवर्क के हैं 4 लेवल

आरबीआई ने पिछले साल अक्टूबर में एनबीएफसी के लिये एक पैरामीटर आधारित नियमन की रूपरेखा जारी की थी. एनबीएफसी के लिये रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क में चार लेवल हैं. यह उनके आकार, गतिविधियों और जोखिम की स्थिति के मुताबिक है.

हाउसिंग लोन की तय की दरें

केंद्रीय बैंक ने जारी सर्कुलर में अपर लेयर वाले एनबीएफसी के बकाया कर्ज को लेकर प्रावधान की दर निर्धारित की. पर्सनल हाउसिंग लोन और लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों (MSME) को दिये गये लोन के मामले में प्रावधान की दर 0.25 फीसदी तय की गई है. वहीं, कुछ अवधि के लिये निम्न ब्याज दर पर दिये गये होम लेन के मामले में यह दो फीसदी है. एक साल बाद जिस तारीख से ब्याज दर बढ़ेगी, प्रावधान की दर घटकर 0.4 फीसदी पर आ जाएगी.

कॉमर्शियल और रेसिडेंशियल के लिए कितनी होगी दर?

कॉमर्शियल रियल एस्टेट – रेसिडेंशियल हाउस (सीआरई – आरएच) सेक्टर के लिये प्रावधान की दर 0.75 फीसदी है. वहीं, रेसिडेंशियल मकान के अलावा कॉमर्शियल रियल एस्टेट के लिये यह एक फीसदी होगा.

शर्तों के हिसाब से होगा तय

आरबीआई ने कहा कि पुनर्गठित कर्ज के लिये प्रावधान की दर निर्धारित शर्तों के अनुसार होगी. टॉप लेवल की श्रेणी में वे एनबीएफसी शामिल हैं जिन्हें विशेष रूप से आरबीआई के मापदंडों के तहत बढ़ी हुई नियामकीय आवश्यकता के अंतर्गत चिन्हित किया गया है.

कितने लेवल हैं शामिल?

संपत्ति आकार के संदर्भ में शीर्ष 10 पात्र एनबीएफसी उच्चस्तर की श्रेणी में आते हैं. एनबीएफसी के लिये पैमाना आधारित नियमन के तहत चार स्तर हैं… बेस लेवल, मिड लेवल, हाई और टॉप लेवल.

 

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