अचानक धन की जरूर पड़ने पर पर्सनल लोन लेना सबसे अच्छा ऑपशन माना जाता है. पर्सनल लोन लेते वक्त प्री-क्लोजर और पार्ट पेमेंट या पार्शियल पेमेंट की जानकारी जरूर लेनी चाहिए. आज हम इन दोनों के बारे में आपको बताएंगे. दरअसल पर्सनल लोन तीन तरीके से बंद हो सकता है.
रेगुलर क्लोजर
- इमसें कस्टमर हर महीने EMI चुकाता है. तय समय में पूरी पेमेंट हो जाने पर EMI बंद हो जाती है.
- लोन की आखिरी किस्त चुकाने के बाद लोन क्लोजर के लिए बैंक से संपर्क करना चाहिए.
- इसके लिए कस्टमर केयर से भी बात कर सकते हैं. इसके अलावा मेल के जरिए भी बातचीत की जा सकती है.
प्री क्लोजर
- लोन की अवधि समाप्त होने से पहले जब कोई व्यक्ति लोन चुकाता है तो इसे प्री क्लोजर कहा जाता है.
- कुछ संस्थान लोन के प्री-क्लोजर पर शुल्क लगाते हैं.
- बैंकों में अलग-अलग लॉक-इन पीरियड होते हैं, जिनसे पहले कोई भी लोन बंद कर सकता है.
- बैंक ब्याज राशि पर हुए नुकसान को पूरा करने के लिए प्री-क्लोजर चार्ज लेते हैं.
- इसे लेकर बैंकों के अलग-अलग नियम हैं.
- कई बैंक प्री-क्लोजर को लेकर कोई चार्ज भी नहीं वसूलते हैं.
- अगर आप प्री क्लोजर करना चाहते हैं तो आपको बैंक से बात करनी चाहिए.
आंशिक भुगतान
- अगर आप चाहते हैं कि लोन का भुगतान जल्द से जल्द हो जाए तो बीच-बीच में आंशिक भुगतान किया जा सकता है.
- आंशिक भुगतान के दो फायदे होते हैं आपकी ईएमआई घट जाएगी या फिर लोन पीरियड घट जाएगा. इनमें से क्या चुनना है यह आप पर निर्भर करता है.
- एक और खासियत यह है कि आंशिक भुगतान बीच में कई बार किया जा सकता है.
क्या असर पड़ता है क्रेडिट स्कोर पर
- यह ध्यान में रखें कि आंशिक भुगतान या प्रीपेमेंट क्लोजर को लेकर बैंक चार्ज भी वसूलते हैं तो इंट्रेस्ट में नेट प्रॉफिट उस चार्ज से कहीं ज्यादा होता है.
- जानकारों का कहना है कि प्री क्लोजर का तुरंत असर नहीं दिखता है, लेकिन लंबे समय में इसका क्रेडिट स्कोर पर निगेटिव असर होता है.
- अगर आपका क्रेडिट स्कोर पहले से काफी अच्छा है तो यह विकल्प चुना जा सकता है.
- अगर आपका क्रेडिट स्कोर सुधर रहा है तो उस कंडिशन में प्री क्लोजर से बचना चाहिए.
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